संजलि हत्याकांड: गांव में भीड़ के बावजूद पसरा है सन्‍नाटा, दो मौत से हैरान हैं लोग

संजलि पढ़ने में अच्छी थी, कुछ बनना चाहती थी, कुछ करना चाहती थी, लेकिन उसके साथ उसके अरमानों को भी जला दिया गया। मां-बाप बेसुध हैं, आरोपी गिरफ्त से बाहर। सैकड़ों की आबादी वाले गांव के लोगों ने चुप्पी साध रखी है। संजिल के गांव लालऊ से गांव कनेक्शन के रणविजय सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट

Update: 2018-12-24 06:30 GMT
संजलि के घर देशभर से लोगों का आना-जाना लगा है। (सभी तस्वीरें- रणविजय सिंह, गांव कनेक्शन)

आगरा। ''मेरी बेटी ने किसी का क्‍या बिगाड़ा था, जो उसे ऐसी मौत दी।'' संजलि की मां बेसुध होकर बार-बार यही सवाल करती हैं। संजलि आगरा के लालऊ गांव की रहने वाली वो लड़की थी जिसे स्‍कूल से आते हुए दो अज्ञात बाइक सवारों ने रोका, फिर उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया। इस घटना में संजलि 70 फीसदी तक झुलस गई और गुरुवार (20 दिसंबर) को दिल्‍ली के सफदरजंग अस्‍पताल में इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया।

अब संजलि के गांव में नेताओं का जमावड़ा लग रहा है। हर कुछ मिनट पर अलग-अलग दल के नेता उसके घर पहुंच रहे हैं। इस आवाजाही के बीच सिर्फ दो ही शरीर हैं जो बुत से नजर आते हैं, जिन्‍हें इस आवाजाही की भनक तो है पर शायद उसकी धमक उन्‍हें महसूस नहीं होती। क्‍योंकि उनकी अपनी संजलि उन्‍हें खाली कर गई है। ये दो शरीर हैं संजलि के पिता और दूसरी उसकी मां। इनमें से एक ने खुद को पत्‍थर कर लिया है तो दूसरी रोते-रोते थक नहीं रही। संजलि की मां गांव की औरतों के बीच बैठी हुई बस रोती रहती हैं। वहीं उसके पिता पूरी तरह से पत्थर के बुत जैसे हो गये हैं।

संजलि के पिता हरेंद्र सिंह जाटव कहते हैं, ''मुझे अब तक यकीन नहीं हो रहा कि संजलि हमारे बीच से चली गई है। उसके साथ बहुत बुरा किया। मैं चाहता हूं आरोपी जल्‍द से जल्‍द पकड़े जाएं ताकि मेरी बेटी को इंसाफ मिल सके।'' बता दें, ये घटना मंगलवार (18 दिसंबर) को हुई थी। तब से अब तक छह दिन गुजर गए हैं, लेकिन संजलि के कातिलों का कोई सुराग नहीं मिला है।

संजिल के घर के बाहर लगी भीड़

संजलि के ताऊ के लड़के आनंद कुमार भी इस घटना से सदमे में हैं। वो घर के बाहर ही शरीर को दीवार से टिकाए आते-जाते लोगों को देखते रहते हैं। उनसे संजलि के बारे में पूछने पर वो कहते हैं, ''संजलि ब्रि‍लियंट (प्रतिभाशाली) थी। हर काम में बहुत अच्‍छी थी। मुझे तो इस घटना के करीब एक घंटे बाद जानकारी हुई। मैं मालपुरा में दुकान पर काम करता हूं, फिर दुकान वाले भइया को किसी ने गांव से कॉल किया तो उन्‍होंने मुझे बताया।'' आनंद कुमार कहते हैं, ''संजलि ने कभी नहीं बताया कि उसे कोई परेशान कर रहा है। हमें तो किसी पर शक भी नहीं है।''

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संजलि की एक बड़ी बहन है, जो बीएसई कर रही है। संजलि अशरफी देवी छिद्दा सिंह इंटर कॉलेज में 10वीं की छात्रा थी। ये स्‍कूल संजलि के घर से करीब 5 किमी की दूरी पर है। 18 दिसंबर को स्‍कूल की छुट्टी के बाद संजलि आगरा जगनेर रोड़ पर साइकिल चलाते हुए घर लौट रही थी। घर से करीब 3 किमी की दूरी पर ही बदमाशों ने इस घटना को अंजाम दिया। घटना के बाद संजलि को एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, जहां से उसे दिल्‍ली के सफदरजंग अस्‍पताल रेफर कर दिया गया। कई दिनों तक मौत से जंग के बाद आखिरकार संजलि 20 दिसंबर को हार गई।

चचेरे भाई ने भी की आत्‍महत्‍या

इस बीच संजलि के चचेरे भाई योगेश ने भी जहर निगलकर आत्‍महत्‍या कर ली। योगेश के पिता जो कि संजलि के पिता हरेंद्र के बड़े भाई हैं कहते हैं, ''पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया, जिसकी वजह से उसने जान दे दी।'' योगेश के घर वालों का आरोप है कि संजलि को आग लगाने की घटना जिस रोज हुई उसी दिन पुलिस ने योगेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसके बाद उसे लेकर दिल्‍ली भी गई और संजलि से मिलवाया। जब योगेश घर आया तो बहुत परेशान था। उसे इस बात का बुरा लगा था कि अब वो लोगों का सामना कैसे करेगा। उसकी बहन को लेकर उससे उल्‍टे सीधे सवाल किए गए, इससे भी वो परेशान था। ऐसे में 20 दिसंबर की सुबह उसने जहर खा लिया और दिन में उसकी मौत हो गई।

योगेश के पिता तेज सिंह आंखों में आंसू लिए कहते हैं, ''वो सीधा बच्‍चा था। पुलिस के संपर्क में कभी आया नहीं था। कभी थाना देखा नहीं था। गंदी बात पूछने से उसका दिल हिल गया। पुलिस ने उसको शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी। उसकी पढ़ाई पूरी हो गई थी। उसे प्रेक्‍ट‍िकल भी नहीं देने दिया। मेरे सामने रो रहा था। अगर मैं संजलि के साथ दिल्‍ली के अस्‍पताल न जाता और यहां मेरे बेटे के पास रहता तो वो बच जाता।'' तेज सिंह बताते हैं, पुलिस योगेश का लैपटॉप, मोबाइल और कुछ दस्‍तावेज अपने साथ ले गई है।

संजिल का मृतक चचेरा भाई योगेश (फाइल फोटो)

योगेश की मौत से पहले के कुछ घंटे याद कर उसके छोटे भाई अजय शील भावुक हो जाते हैं। अजय कहते हैं, ''पुलिस वाले भाई को ले गए थे। 19 दिसंबर को रात में 2 बजे के करीब वो घर वापस आए। सुबह उनको उल्‍टियां हो रही थीं, लेकिन मुझे लगा 2 दिन से कुछ खाया नहीं तो ऐसा हो रहा होगा। करीब दिन के साढ़े 11 बजे होंगे कि भाई की तबीयत ज्‍यादा बिगड़ गई। मैं तुरंत उन्‍हें गांव के डॉक्‍टर के पास ले गया, लेकिन उसने साफ कह दिया कि ये उसके बस की बात नहीं। इसके बाद हम लोग शेखर अस्‍पताल ले गए, अभी शेखर में एडमिट करते तब तक पुलिस आ गई। पुलिस भाई को लेकर आगरा के पुष्‍पांजलि अस्‍पताल ले गई। वहां कुछ घंटे बाद ही उनकी मौत हो गई।''

मृतक संजलि। (फाइल फोटो)

योगेश को पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने पर आगरा के एसपी (वेस्ट) अखिलेश नारायण सिंह कहते हैं "19 दिसंबर को 6-7 बजे योगेश थाने पर आए। वहां चाय पी। उन्‍होंने बताया कि बहन (संजलि) हमसे बहुत घुली मिली है, मेरे पूछने पर वो सारी बात बता देगी। उन्‍होंने कहा हमको दिल्‍ली भेज दीजिए। उसके बाद एक गाड़ी कराई गई। उन्‍होंने कहा कि एक सिपाही दीजिए ताकि रास्‍ते में कोई दिक्‍कत न हो। हमने एक सिपाही भी दे दिया। उसके बाद ये दिल्‍ली गए। अब इसमें हमने कहां प्रताड़ित किया? वहां बच्‍ची से बात किया, मां बाप से मिला। योगेश के पिता जी वहां पर थे, पिताजी योगेश के साथ ही दिल्‍ली से वापस आ गए।''

'उन अंकल की आज भी याद आती है तो सहम जाती हूं'

अखिलेश नारायण सिंह कहते हैं, ''योगेश ने दिल्‍ली से वापस आकर हमें अपने मोबाइल में एक फोटो दिखायी और बताया कि लड़की (संजलि) ने उसे ये फोटो दी है और बताया है कि ये उसका बॉयफ्रेंड है। हमने फोटो बनाने के लिए उसका मोबाइल रख लिया और कहा कि अगले दिन आकर ले जाना। उन्‍होंने मोबाइल रख दिया और पिताजी के साथ घर चले गए। बस इतना हुआ है। पुलिस ने इसमें कहां प्रताड़ित किया। उनके घर वाले ऐसा क्‍यों कह रहे हैं ये मैं परसों बताऊंगा।''

संजिल के मां के साथ पड़ोसी

गांव में कयासों का दौर तेज

इस बीच गांव में कयासों का दौर तेज है। लोग योगेश की मौत पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। कई गांव वाले कहते हैं कि योगेश ने आत्‍महत्‍या क्‍यों की अगर वो गलत नहीं था। वहीं कई इस बात का भी जिक्र करते हैं कि और भी लड़के पुलिस हिरासत में हैं, किसी और ने ऐसा कदम क्‍यों नहीं उठाया। बता दें, योगेश बीएड कर रहा था। घर वालों का आरोप है कि उसका प्रेक्टिकल था, लेकिन पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। योगेश प्रेक्टिकल में जाने की बात कहता रहा, लेकिन जा न पाया। ऐसे में वो डिप्रेशन में चला गया।

फिलहाल गांव में एक अजीब सी खामोशी पसरी हुई है। ऐसी खामोशी जो भीड़ के होने के बाद भी महसूस की जा सकती है। गांव वाले इस घटना से हैरान हैं, वहीं संजलि और योगेश के घर वाले गमजदा। हालांकि एसपी के दावे से लगता है मंगलवार तक वो इस मामले का खुलासा कर देंगे।

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