बिहार के 10 जिले बाढ़ की चपेट में, देखिए सरकार से सवाल पूछती बाढ़ की ये तस्वीरें
बिहार में अब तक 10 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। नदियों का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दिनों दिन हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
(बिहार के मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले से उमेश कुमार राय और गोपालगंज और सारण जिले से अंकित मिश्रा की ख़ास रिपोर्ट)
बिहार में बाढ़ एक बार फिर अपने चरम पर है। राज्य के 10 जिलों में अब तक 9.60 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं जबकि अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। नदियों का जल स्तर बढ़ने से दिनों दिन हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
गोपालगंज समेत बिहार का दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सुपौल, खगड़िया, सीतामढ़ी, शिवहर और किशनगंज जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। इन जिलों की अब तक 529 पंचायतों में बाढ़ अपना रौद्र रूप दिखा रही है, इसमें मुजफ्फरपुर की ही सिर्फ 92 पंचायत शामिल हैं।
बड़ी बात यह है कि बाढ़ प्रभावित इन ग्रामीण इलाकों में लाखों लोगों तक अभी मदद नहीं पहुँच सकी है। बिहार के बाढ़ आपदा विभाग के अनुसार अब तक करीब 94 हजार लोगों को ही सरकार ने सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया है।
नेपाल से गंडक नदी में पानी छोड़े जाने की वजह से 24 जुलाई की आधी रात गोपालगंज जिले के देवापुर और पुरैना गाँव में बना गोपालगंज-सारण तटबंध दो जगहों से टूट गया। ऐसे में रातों-रात बरौली के 20, सिधवलिया के चार, मांझागढ़ और बैकुंठपुर के पांच-पांच समेत कुल 34 गाँव बाढ़ की चपेट में आ गए।
देवापुर गाँव में 12 साल के एक किशोर की बाढ़ के पानी में डूबने की भी खबर है। तेज बहाव से न सिर्फ गांवों में बने ग्रामीणों के कच्चे घर टूट गए हैं, बल्कि सड़क किनारे लगे कई पेड़ भी उखड़ चुके हैं। इसके बावजूद बाढ़ प्रभावित गांवों के लोग अभी भी सरकारी मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं।
बिहार के गोपालगंज जिले देवापुर बाँध टूटने के बाद बरौली प्रखंड में भीषण बाढ़ आ गयी है. पानी सडकों के ऊपर बह रहा, पानी के तेज बहाव से पेड़ तक उखड गए हैं, जिले के 34 गांव सबसे जयादा प्रभावित हैं..
— GaonConnection (@GaonConnection) July 25, 2020
वीडियो और इनपुट अंकित मिश्रा कम्युनिटी जनर्लिस्ट, #Bihar #flooding #Gopalganj pic.twitter.com/HKvlyGLreO
गोपालगंज के एक युवा सांता कुमार बताते हैं, "आखिर वही हुआ जिसका हम लोग पिछले दो दिनों से कयास लगा रहे थे, देवापुर में मुख्य बांध टूट गया और अब नदी का पानी कभी भी हमारे यहाँ भी पहुँच सकता है।"
यही नहीं गंडक नदी गोपालगंज के पड़ोसी जिले सारण में भी खूब तबाही मचा रही है। सारण जिले के तरैया और पानापुर प्रखंड के कई गांव पानी में डूब चुके हैं। बारिश से इस बार बांध के निचले इलाकों की दर्जनों गाँवों की फसलें पानी में डूब गई हैं।
सारण जिले के तरैया प्रखंड के माधोपुर पंचायत के विकास कुमार 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "सरकारी सहायता के तौर पर बस एक नाव उपलब्ध कराई गयी है इसलिए गाँव वालों को ऊँचे स्थानों तक पहुंचने में काफी दिक्कत हो रही है।"
विकास कहते हैं, "आने वाले तीन-चार दिनों में गोपालगंज से आने वाले बाढ़ के पानी से और तबाही मचेगी। इससे गाँव का उत्तरी हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।"
उत्तर बिहार में बाढ़, पानी और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर पर काम कर रहे 'मेघ पाइन अभियान' के मैनेजिंग ट्रस्टी एकलव्य प्रसाद 'गांव कनेक्शन' से बताते हैं, भारत-नेपाल सीमा से सटे उत्तर बिहार के पश्चिम और पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, अररिया और किशनगंज जिले में लगभग 72 ऐसी नदियां हैं जो दोनों देशों की सीमाओं में बहती हैं। इनमें से अधिकांश बरसाती नदियां हैं लेकिन जब भी नेपाल में बारिश होती है इनका कहर सीमावर्ती गांवों पर टूटता है।"
दूसरी ओर राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में अब तक सबसे ज्यादा 92 पंचायतों में 1.42 लाख से ज्यादा ग्रामीण बाढ़ से प्रभावित हैं। इस जिले के कुढ़नी गाँव में लोगों के घरों में घुटनों तक पानी भरा हुआ है। गांवों में किसानों की सैकड़ों एकड़ फसलें डूब गयी हैं और अब तक इस गाँव की तरफ सरकार की कोई मदद नहीं पहुंची हैं।
अपने घरों के बाहर घुटनों तक पानी में डूबीं महिलाओं से बातचीत के दौरान सरकारी मदद मिलने के सवाल पर एक महिला 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "घर-गांव में पूरा पानी घुसा है लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई देखने तक नहीं आया है, मदद की तो बात ही छोड़ दीजिए।"
"न कुछ खाने को मिलता है न ही पानी मिलता है, पांच-छह दिन से सबका यही हाल है, बिस्कुट खाकर हम लोग पानी पी रहे हैं और कुछ हम लोगों को नहीं मिल रहा है," वह आगे कहती हैं।
अपने घर में घुटनों तक भरा बाढ़ का पानी दिखाते हुए गाँव की एक और महिला बताती हैं, "कोई भी सुन नहीं रहा है, हमारे घर में पानी भरा हुआ है, हम कैसे अपने बच्चा लोगों को लेकर जाएँ, पूरा घर डूब चुका है।"
बाढ़ में फँसे इन लोगों के लिए अभी भी सरकारी मदद कोसों दूर है। बड़ी संख्या में ये बाढ़ के पानी के बीच अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। नदियों का जल स्तर अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में इनके लिए और खतरा बढ़ सकता है।