अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे दिल्ली के ये स्कूल

Update: 2017-07-13 11:32 GMT
दिल्ली सरकार सभी सरकारी स्कूलों की इमारतों की छतों पर फोटो वोल्टाइक पैनल स्थापित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिल्ली के सरकारी स्कूलों को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने एक नया फैसला लिया है। दिल्ली के सरकारी स्कूल जल्द ही सौर ऊर्जा की रोशनी से जगमग हो सकते हैं। दिल्ली सरकार सभी सरकारी स्कूलों की इमारतों की छतों पर फोटो वोल्टाइक पैनल स्थापित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

यह कदम दिल्ली सरकार के राष्ट्रीय राजधानी को सोलर सिटी बनाने वाले प्रमुख कार्यक्रम को गति देगा। राज्य सरकार की सौर नीति में 2015 तक सौर ऊर्जा के जरिए 2,000 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य है।

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अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली के स्कूलों को सौर ऊर्जा से रोशन करने का प्रस्ताव तैयार है और इस पर जल्दी ही क्रियान्वयन हो सकता है। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, "शुरुआती चरण में अगले कुछ महीनों में सोलर पैनलों को शहर के 25 से 30 स्कूलों के भवनों पर लगाया जाएगा।"

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अधिकारी ने कहा, "इस तरीके से शुरू में सरकार की नजर 20 से 30 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा करने पर है। इस परियोजना के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के बाद सरकार इसे और आगे बढ़ाएगी।" उन्होंने कहा कि सरकार इस कोशिश में है कि स्कूलों की इमारतों का अधिक से अधिक इस्तेमाल सौर बिजली पैदा करने में किया जा सके और इन भवनों को ग्रीन बिल्डिंग में बदला जा सके।

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सरकारी स्कूल के भवनों को लक्ष्य बनाने की व्याख्या करते हुए अधिकारी ने कहा कि इस तरह की संरचनाएं सौर बिजली के लिए बेहतरीन हैं, क्योंकि यह छायामुक्त हैं। उन्होंने कहा, "ज्यादातर सरकारी स्कूलों की इमारतें विशाल समतल छतों वाली हैं और इनकी कोई दीवार नहीं है, जो बड़ा छायामुक्त क्षेत्र प्रदान करता है और सोलर पैनलों को सूर्य के अधिकतम प्रकाश का लाभ मिलता है। यह स्थिति सौर ऊर्जा के उत्पादन के अनुकूल है।"

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उन्होंने स्पष्ट किया कि आवासीय भवनों में दीवार, पानी की टंकी व छत पर दूसरे निर्माण की वजह से बहुत कम छायामुक्त क्षेत्र बचता है। दिल्ली की सौर नीति के अनुसार, सरकारी व सार्वजनिक संस्थानों पर सोलर पैनल लगाया जाना अनिवार्य है। नीति के अनुसार, सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के भवन शहर की कुल सौर क्षमता का एक चौथाई हिस्सा हैं।

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