इंग्लैंड में पैदा हुए, पढ़ाई की और अब भारत में 100 एकड़ जमीन पर कर रहे जैविक खेती

भारत आकर आज जैविक खेती कर रहे अक्षय राडिया चाहते हैं कि युवा जैविक खेती के प्रति जागरूक हों और जमीन से जुड़कर खेती में आगे बढ़ कर सामने आयें।

Update: 2020-09-29 09:42 GMT
मथुरा में औषधीय खेती के साथ सब्जियों की भी जैविक फसलें उगा रहे हैं अक्षय राडिया। फोटो : गाँव कनेक्शन

मथुरा (उत्तर प्रदेश)। इंग्लैंड में पैदा हुए, पढ़ाई की और बिज़नेस भी किया, मगर अपनी मिट्टी से जुड़ने की इच्छा आखिरकार अक्षय को भारत खींच लायी।

खेती से लगाव रखने वाले अक्षय राडिया ने अपने मित्र से बात की, उसकी मदद से जमीन ली और फिर खुद जैविक खेती की शुरुवात की।

आज भारत आने के 14 साल बाद अक्षय अपने खेतों में तरह-तरह के औषधीय पौधे उगा रहे हैं, इसके अलावा धान, मक्का और सब्जियों का जैविक उत्पादन भी कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की तहसील छाता के विहार वन में आज अक्षय 50 एकड़ जमीन लीज पर लेकर जैविक खेती कर रहे हैं और अपने साथ उन्होंने कई ग्रामीणों को रोजगार भी दिया है।

अपने खेतों में शतावर, अकर्करा, अश्वगंधा, एलोवेरा, हल्दी, तुलसी जैसे कई औषधीय पौधे उगा रहे अक्षय। फोटो : गाँव कनेक्शन 

अक्षय 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "जैविक खेती की शुरुवात में सबसे पहले मैंने खेतों में सिंचाई के लिए एक फिल्टर प्लांट लगाया जिससे साफ़ पानी से खेती की सिंचाई की जा सके और जैविक तरीके से उपज तैयार हो।"

"इसके बाद मैंने खेतों में ड्रिप सिस्टम से सिंचाई की व्यवस्था की, ताकि पानी की बचत होने के साथ-साथ उत्पादन भी अच्छा मिले। इसके अलावा हमने खेती के साथ-साथ दो से तीन नर्सरी भी तैयार की हैं जहां पर फल और फूल की नर्सरी अलग हैं और सब्जी के पौधों की नर्सरी अलग है। इससे आस-पास के किसानों को भी फायदा मिला और वे हमारे यहां से पौधे भी खरीद कर ले जाते हैं," अक्षय बताते हैं।

अक्षय आज मुख्य रूप से अपने खेतों में शतावर, अकर्करा, अश्वगंधा, एलोवेरा, हल्दी, तुलसी जैसे कई औषधीय पौधे उगा रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने फार्म में एक छोटा प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया है जहाँ वह खेतों की उपज से करीब 45 तरह के उत्पाद भी तैयार कर रहे हैं और ये तैयार उत्पाद दूसरे राज्यों में भेजते हैं।

अक्षय बताते हैं, "हमने मथुरा के साथ उत्तराखंड में भी खेती शुरू की है। मौसम के हिसाब से भी हम खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। मथुरा में हम गर्म क्षेत्र जैसी खेती अपना रहे हैं और उत्तराखंड में सर्दी में तैयार होने वाली जैसी खेती को अपना रहे हैं। आज इतने सालों बाद सब मिलकर हम करीब 100 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं।"

अक्षय के मुताबिक, अभी वो सिर्फ मथुरा में ही औषधियों की खेती से प्रति वर्ष 20 लाख रुपये प्रति वर्ष कमा रहे हैं, जबकि अन्य फसलों की खेती से करीब 15 लाख रुपये प्रति वर्ष।

अपने खेतों में उगा रहे औषधीय फसलों के बारे में बताते अक्षय। फोटो : गाँव कनेक्शन 

अक्षय ने खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन भी शुरू किया है। यही वजह है कि अक्षय के खेतों को देखने के लिए आज न सिर्फ दूरदराज से किसान आते हैं, बल्कि जिले के कृषि अधिकारी भी उनके खेती करने के तरीकों की सराहना करते हैं।

अक्षय बताते हैं, "हमने खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन भी शुरू किया है। अपने फार्म पर 108 बॉक्स से मधुमक्खी पालन करते हैं जिससे खेती पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है और शुद्ध शहद भी मिलता है।"

इंग्लैंड में सब कुछ छोड़ कर अक्षय आज भारत में खेती कर रहे हैं। अक्षय चाहते हैं कि युवा जैविक खेती के प्रति जागरूक हों और जमीन से जुड़कर खेती में आगे बढ़ कर सामने आयें।

इस सवाल के जवाब में अक्षय कहते हैं, "जब इंग्लैंड के मेरे दोस्त मुझसे पूछते हैं कि भारत में रह कर क्या कर रहे हो, तो मैं बड़े गर्व के साथ बोलता हूं कि मैं यहां खेती कर रहा हूं तो वह लोग मुझे प्रेरित करते हैं कि आप जनता के स्वास्थ्य के साथ अच्छा कर रहे हो।"

अक्षय कहते हैं, "भारत की असली पहचान खेती से ही है मगर अब युवा लोग खेती में नहीं आ रहे हैं, तकनीक की सहायता लेकर अलग-अलग फसल लगायें, इसके अलावा प्रोसेसिंग और ट्रांसपोर्ट को लेकर अलग-अलग सिस्टम पर काम करें, तो निश्चित रूप से खेती हमें अच्छे स्वस्थ्य के साथ पैसा भी देगी।"

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