बजट 2021-22: शुगर मिलों के लिए करोड़ों का पैकेज, लेकिन उन किसानों को क्या मिला जिनका पैसा चीनी मिलों ने रोक रखा है?
देश के अलग-अलग राज्यों में गन्ना किसानों का करोड़ों रुपए चीनी मिलों ने रोक रखा है। बजट 2021-22 में सरकार ने चीनी मिलों को कुछ रियायते दी हैं, लेकिन गन्ना किसानों के लिए कोई घोषणा नहीं हुई।
"मैंने 25 पर्चियां डाली हैं। लगभग 500 क्विंटल गन्ना चीनी मिलों को दिया है। अभी तक ही एक बार भुगतान हुआ है। दो महीने से पैसे का इंतजार कर रहा हूं। अभी मेरा लगभग 75 हजार रुपए चीनी मिलों पर बकाया है। सोच रहा था कि बजट में सरकार कुछ घोषणा करेगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ," उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले के गन्ना किसान अचल शर्मा कहते हैं।
एक फरवरी को बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार को किसानों की हितैषी बताया और कृषि संबंधित तमाम घोषणाएं की लेकिन गन्ना किसानों को इस बजट से निराशा हाथ लगी है। उन्हें उम्मीद थी कि इस बजट में सरकार कुछ रियायतें न सही मगर कम से कम उनके बकाए के भुगतान का कोई रास्ता निकालेगी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश के गन्ना किसानों का इस वक्त चीनी मिलों पर 15,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा बकाया है।
सरकार ने गन्ना किसानों के लिए तो कोई घोषणा नहीं की अलबत्ता चीनी मिलों के लिए ज़रूर कुछ रियायतें दी हैं।
वित्त मंत्री ने संसद में बताया कि सरकार चीनी मिलों को सहायता देने के लिए योजना लेकर आ रही है जिसके लिए 1,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा 40 लाख मीट्रिक टन चीनी स्टॉक के लिए 600 करोड़ और चीनी निर्यात के लिए शुगर मिलों के लिए 2,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। बजट में शुगर मिलों का जिक्र तो है, लेकिन उन किसानों का जिक्र नहीं है जिनका पैसा शुगर मिलों के पास रुका हुआ है।
पिछले साल संसद के मानसून सत्र में 15 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश के खीरी से लोकसभा से भाजपा सांसद अजय मिश्र टेनी ने गन्ना किसानों के बकाए की स्थिति का केंद्र सरकार से ब्योरा मांगा था। इसके जवाब में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री राव साहेब दादाराव दानवे ने सदन को बताया कि 11 सितंबर 2020 तक चीनी सीज़न 2019-20 के लिए गन्ना किसानों का 12,994 करोड़ रुपए का भुगतान होना बाकी है।
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इसके अलावा चीनी मिलों पर वर्ष 2018-19 का 548 करोड़ रुपए, 2017-18 का 242 करोड़ और 2016-17 का 1,899 करोड़ रुपए बकाया है। इस तरह चीनी मिलों पर अब तक गन्ना किसानों का कुल 15,683 करोड़ रुपए बाकी है।
अगर राज्यों की बात करें तो गन्ना किसानों का सबसे ज्यादा भुगतान उत्तर प्रदेश में रुका है। लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, 11 सितंबर 2020 तक उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर किसानों का कुल 10,174 करोड़ रुपए बकाया है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है।
राज्यवार बकाये की स्थिति
अचल शर्मा उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले के गन्ना किसान हैं और ब्लॉक नजीबाबाद, के गांव तिसोतरा में लगभग 10 बीघा खेत में गन्ने की खेती करते हैं। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "सरकार ने अभी कुछ दिनों पहले सीधे मदद देने का भी वादा किया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। भुगतान की हालत ये है कि 2019 का पैसा 2020 के अंत में मिला। अभी मेरे जिले में किसानों का लगभग सौ करोड़ रुपए बकाया है। मेरा खुद इस सीजन का लगभग 75,000 रुपए बकाया है। कब मिलेगा, पता नहीं।"
अचल बताते हैं कि जिस मिल में उनका पैसा रुका हुआ है जो रोज़ लगभग 70,000 कुंतल गन्ने की पेराई करती है। इस मिल ने दो महीने से किसानों को एक भी रुपए का भुगतान नहीं किया है। इस तरह देखें तो इसी मिल पर किसानों का लगभग सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है।
उत्तर प्रदेश के ही लखीमपुर खीरी ज़िले के शेरपुर सिमरिया के रहने वाले गन्ना किसान अंजनी दीक्षित ने 15 एकड़ में गन्ना लगाया है। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "अभी तो इस सीज़न में बस पेड़ी ही बेचा है। हमें पिछले साल मार्च में गोला चीनी मिल से पैसा मिला था। पेड़ी का ही लगभग 4 लाख रुपए बकाया है। मोदी जी ने कहा था कि हमारे खाते में सीधे पैसा आयेगा, अभी तक नहीं आया। हमारा पैसा जितने दिन मिलों के पास रुका रहता है, उतने दिन बैंक में रख दे तो भी हमें बहुत फायदा होगा।"
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राज्य मंत्री राव साहेब दादाराव दानवे ने लोकसभा में बताया था कि उत्तर प्रदेश में बजाज हिंदुस्तान की 14 मिलों पर शुगर सीजन 2019-20 का किसानों का 2,961 करोड़ रुपए का भुगतान बाकी है। लखीमपुर की तीन चीनी मिलों पर 992 करोड़ रुपए का बकाया है।
केंद्र सरकार ने दिसंबर 2020 में चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने का फैसला किया था। इस विपणन वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों समिति (सीसीईए) ने किसानों के लिए 3,500 करोड़ रुपए सहायता राशि को भी मंज़ूरी दी थी और कहा गया था पैसा सीधे किसानों के खाते में भेजा जायेगा।
इस साल बजट पेश होने के ठीक एक दिन बाद दो फरवरी को राव साहेब दादाराव दानवे ने ही लोकसभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में बताया कि किसानों को फसल सीज़न 2020-21 में नकदी की दिक्कत ना हो इसके लिए चीनी के निर्यात पर हैंडलिंग, अपग्रेडिंग और दूसरी लागतों के लिए चीनी मिलों के लिए 3,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
चीनी मिलों के सबसे बड़े संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुसार उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है। इसके बाद सबसे चीनी का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र और फिर कर्नाटक में होता है।