बलंदशहर घटना को योगी ने बताया राजनीतिक षडयंत्र, पूर्व नौकरशाहों ने मांगा इस्‍तीफा

इससे पहले योगी बुलंदशहर घटना को दुर्घटना बता चुके हैं। उल्लेखनीय है कि बुलंदशहर हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की मौत हो गयी थी।

Update: 2018-12-19 10:48 GMT

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश विधानसभा का शीलतकालीन सत्र मंगलवार को शुरू हुआ। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने कानून व्‍यवस्‍था और बुलंदशहर की घटना को लेकर जमकर हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे पर मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ ने कहा कि 'बुलंदशहर की घटना उन लोगों का राजनीतिक षडयंत्र था, जो अपनी राजनीतिक जमीन खो चुके हैं।'

योगी ने कहा, यह राजनीतिक षडयंत्र था, जिसका खुलासा हो चुका है। शांति व्यवस्था किसी भी कीमत पर बनाये रखी जाएगी। बता दें, इससे पहले योगी बुलंदशहर घटना को दुर्घटना बता चुके हैं। उल्लेखनीय है कि बुलंदशहर हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की मौत हो गयी थी।

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वहीं, बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या से नाराज कई पूर्व नौकरशाहों ने एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने राज्य में इस घटना से पहले और बाद में उत्पन्न तनाव को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। पत्र में लिखा है कि 3 दिसंबर 2018 को हुई हिंसक घटना के दौरान पुलिस अधिकारी की हत्या राजनीतिक द्वेष की दिशा में अब तक का एक बेहद खतरनाक संकेत है। इससे पता चलता है कि देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली के मौलिक सिद्धांतों, संवैधानिक नीति और मानवीय सामाजिक व्यवहार तहस नहस हो चुके हैं। राज्य के मुख्यमंत्री एक पुजारी की तरह धर्मांधता और बहुसंख्यकों के प्रभुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं।

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पत्र में लिखा है कि सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिये ऐसे हालात पहली बार उत्पन्न नहीं किए गए। उत्तर प्रदेश का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब भीड़ द्वारा एक पुलिसकर्मी की हत्या की गई हो, न ही यह गौरक्षा के नाम पर होने वाली राजनीति के तहत मुसलमानों को अलग-थलग कर सामाजिक विभाजन पैदा करने का पहला मामला है।

पूर्व अधिकारियों के समूह ने लिखा है कि यह एक गंभीर स्थिति है जिसे और सहन नहीं किया जा सकता। सभी नागरिकों को नफरत की राजनीति और विभाजन के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। इस पत्र में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने में नाकाम रहने पर मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ का इस्तीफा मांगा गया है। साथ ही मु्ख्य सचिव, पुलिस महानिरीक्षक, गृह सचिव समेत सभी उच्च अधिकारियों को बेखौफ होकर संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने और कानून का शासन लागू करने की ओर ध्यान दिलाया गया है।

खुला पत्र जारी करने वालों में पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, योजना आयोग के पूर्व सचिव एन सी सक्सेना, अरुणा रॉय, रोमानिया में भारत के पूर्व राजदूत जूलियो रिबेरो, प्रशासकीय सुधार आयोग, उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व अध्यक्ष जे एल बजाज, दिल्‍ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदेर सहित कुल 83 पूर्व नौकरशाह शामिल हैं। 

इनपुट- भाषा 

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