घर बनवाना होगा महंगा, डीजल की बढ़ी कीमतों से सीमेंट 25-30 रुपए प्रति बोरी हो सकती है महंगी

Update: 2018-10-15 09:27 GMT

नई दिल्ली। आने वाले पांच छह महीनों में घर बनवाना और महंगा हो सकता है। डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते सीमेंट 25-30 रुपए बोरी महंगी हो सकती है। सीमेंट बनाने वाली कंपनियों और इससे जुड़े संगठन ने इसके संकेत दिए हैं।

डीजल की बढ़ती कीमतों का असर आम जनता पर प्रत्यक्ष रुप से तो पड़ रहा है था अब इसके दूरगामी परिणाम भी सामने आने लगे हैं। भारत के ज्यादातर शहरों में डीजल 75 रुपए प्रति लीटर से ऊपर बिक रहा है। जिसके चलते बढ़े माल ढुलाई से सब्जी और अनाज से लेकर सरिया-सीमेंट जैसी चीजें भी महंगी हो रही है। सीमेंट विर्माता संघ (सीएमए) के अनुसार 2018-19 की पहली छमाही में सीमेंट उद्योग में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2009-10 के बाद पहली बार दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की गयी है। सीएमए के अध्यक्ष शैलेंद्र चौकसी ने पीटीआई-भाषा से कहा, "सीमेंट की कीमत को ठीक करने की बहुत अधिक जरूरत है। पिछले एक साल में ईंधन की कीमतों में 60-70 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बढ़ी कीमतों के प्रभाव को कुछ हद तक कम करने के लिए सीमेंट के दाम बढ़ाना जरूरी है।"

उन्होंने कहा कि पिछले 6-7 साल से सीमेंट की कीमतें करीब-करीब स्थिर हैं लेकिन इस दौरान लागत और मुद्रास्फीति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सीमेंट की मांग में तेजी के बावजूद कीमतें काफी निम्न स्तर पर बनी हुई हैं। उन्होंने दावा किया कि वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर में सीमेंट की 50 किलो की बोरी की कीमत 300 रुपये से कम है। सीमेंट की कीमतों में कितनी बढ़ोतरी होगी इस सवाल पर चौकसी ने कहा कि ईंधन लागत और परिवहन शुल्क में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए सीमेंट के प्रति बोरी पर कम से कम 25-30 रुपये यानी 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी।

एसीसी सीमेंट में विपणन अधिकारी (बनारस, यूपी) बताते हैं, "पिछले वित्तीय वर्ष में ज्यादातर कंपनियों ने 10-20 रुपए बढ़ाए थे, लेकिन इस बार ज्यादा महंगी हो सकती है, क्योंकि सीमेंट के रेट पर डीजल का काफी असर पड़ता है। पहले प्लांट से लेकर कस्टर तक हर जगह ढुलाई का असर होता है।' एसीसी सीमेंट की बनारस में एक बोरी की कीमत 410 रुपए है।

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सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी का निर्माण से जुड़े कार्यों पर पड़ता है सीधा असर

लखनऊ के अमानीगंज में अपनी दुकान चला रहे विनय मिश्र बताते हैं, " सीमेंट में जो बिलिंग होती है उससे 10-15 रुपए ज्यादा लेकर फुटकर में दुकानदार बेचते हैं। लखनऊ के आसपास मायसम सीमेंट 350 रूपये में हैं, अम्बुजा सीमेंट 345 रूपये में है, अल्ट्रा-टेक 355 रूपये में है, बिलानी 315 रूपये में है और बांगर सीमेंट 312 रूपये में हैं।

सीमेंट कंपनियों को पिछले दिनों सरकार ने दिया था अल्मीमेटम

सीमेंट औद्योगिक विकास के लिए सबसे अहम माल होता है। शौचालय से लेकर पुल तक बिना सीमेंट के नहीं बन सकते हैं, ऐसे में सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी का असर हर वर्ग पर पड़ता है। सरकार सीमेंट को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाने की कोशिश में है। सरकार ने कवायद सीमेंट कंपनियों के कार्टेल (आपसी सांठगांठ कर कीमत बढ़ाना) को तोड़ने की थी। जुलाई में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री एवं राजमार्ग नितिन गड़कनी ने कहा था डीजल की कीमतें बढ़ने या रॉयल्टी बढऩे पर कीमतों की बढ़ोतरी जायज हो सकती है लेकिन सीमेंट कंपनियां कारटलाइजेशन करके कीमतें बढ़ाती हैं, अगर इसे कंपनियों ने खत्म नहीं किया जो आवश्यक वस्तुओं की सूची में डाल दे।

आवश्यक वस्तु अधिनियम के अधीन आने वाली किसी वस्तु पर सरकार उसकी कीमत और गुणवत्ता दोनों पर नियंत्रण रखती है। सरकार ने 90 के दशक में सीमेंट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत यह आदेश भी जारी किया था। कारटेलाइन के चलते ही 2016 में देश के प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने 11 सीमेंट कंपनियों और सीएमए पर 6300 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इस जुर्माने के खिलाफ कंपनियां सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन कोर्ट ने अक्टूबर को सीआईए के फैसले को सही ठहराया है। यानि कंपनियों को जुर्माना देना पड़ सकता है।


कार्टेल क्या होता है..

ज्यादातर चीजों की कीमतें लागत, कच्चे माल की उपलब्धता, मांग और सप्लाई आदि पर निर्भर करती हैं। लेकिन कई बार कुछ कंपनियां आपस में गठजोड़ कर एक तय कीमत से नीचे अपने उत्पाद न बेचने पर सहमित बनाती हैं। इसे कार्टेल कहते हैं। बाजार में मांग के आंकड़ों को देखते हुए ये कंपनियां उत्पादन कम करती हैं ज्यादा मांग का बहाने रेट बढ़ाती हैं। सीमेंट कंपनियों पर अक्सर इसके आरोप लगे हैं। प्रतिस्पर्धा आयोग ने इसे उपभोक्ता के लिए नुकसानदायक बताते हुए सख्त कदम उठाए थे।  (भाषा इनपुट के साथ)

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