अगर आप भी इंटरनेट से ढूंढते हैं इलाज, तो हो जाइए सावधान

बीमार होने पर खुद से जांच शुरू करना और इंटरनेट से दवा लेना बहुत सामान्य बात है, कई बार खुद से इंटरनेट पर लक्षण के आधार पर दवा लेने से बीमारी का गलत इलाज हो जाता है

Update: 2019-08-03 13:17 GMT

लखनऊ। राजेश को पाइल्स की दिक्कत थी। डॉक्टर के पास जाने की जगह वह इंटरनेट से लक्षण के आधार पर दवाइयां खाने लगा। लेकिन उसकी परेशानी कम होने की जगह और बढ़ गई। मामला गंभीर होने पर वह डॉक्टर के पास पहुंचा। राजेश जैसे न जाने कितने लोग हैं जो बीमार होने पर डॉक्टर की जगह इंटरनेट पर देखकर दवा ले रहे हैं और स्वस्थ होने की जगह मर्ज को और बढ़ा रहे हैं।

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के डॉक्टर डॉ. अरशद ने बताया," आजकल इंटरनेट को डॉक्टर बनाने का चलन तेजी से पैर पसार रहा है। लोग बीमार होने पर डॉक्टर की जगह इंटरनेट पर सर्च कर दवाइ ले रहें। किसी बीमारी में क्या इलाज करना है एक डॉक्टर से बेहतर और कोई नहीं बता सकता। डॉक्टर पहले जांच करता है और उसी के आधार पर इलाज करता है। जिस बीमारी का जो बेहतर इलाज है उसे ही कराना चाहिये, लेकिन बिना डॉक्टर के अपने मन से कोई दवाई नहीं खानी चाहिए।"

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प्रतीकात्मक तस्वीर 

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर रमेंद्र त्रिपाठी का कहना है, " बीमार होने पर खुद से जांच शुरू करना और इंटरनेट से दवा लेना बहुत सामान्य बात है। कई बार खुद से इंटरनेट पर लक्षण के आधार पर दवा लेने से बीमारी का गलत इलाज हो जाता है, दवाई का गलत प्रभाव पड़ने लगता है, जिससे बीमारी ठीक होने की जगह और बढ़ जाती है। कई बार जान जाने की भी स्थिति पैदा हो जाती है। लोगों को इससे बचना चाहिए।"

एक घटना के बारे में रमेंद्र ने बताया, " गोरखपुर का रहने वाला मेरे एक पेशेंट के सिर में हमेशा दर्द रहता था। बाइक चलाने पर उसका दर्द और बढ़ जाता था। इससे वह चिड़चिड़ापन का शिकार का गया था। मेरे पास आने के पहले उसने इंटरनेट पर लक्षण के आधार पर कई दवाई लेने लगा। जब स्थिति चिंताजनक हो गई तब मेरे पास आया। जांच में पता चला कि उसे उच्च रक्तचाप की शिकायत थी, जिसकी वजह से उसके सिर में दर्द रहता था।"

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लखनऊ के पुरनिया की रहने वाली रेखा(बदला हुआ नाम) शादी के तुरंत बाद बच्चा नहीं चाहती थी। लेकिन वह प्रेगनेंट हो गई। ऐस में उसने इंटरनेट पर देखकर मेडिकल स्टोर से दवा ले ली। दवा खाने के बाद उसकी हालत काफी गंभीर हो गई। परिजनों से उसे क्वीन मैरी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां काफी मशक्कत के बाद उसकी जान बचाई जा सकी।

क्वीन मैरी में महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर स्मृति अग्रवाल ने बताया, " मेरे पास अक्सर ऐसे ममाले आते हैं जिसमें पेशेंट ने इंटरनेट से सर्च कर दवा खा लिया और तबीयत और बिगड़ गई। ज्यादातर महिलाएं गर्भपात के लिए बिना किसी डॉक्टर की सलाह से गूगल से गर्भपात की दवा ले लेती हैं और जान जोखिम में डाल देते हैं। एक डॉक्टर से बेहतर कोई नहीं बता सकता कि किस बीमारी का क्या इलाज है।"

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मनोवैज्ञानिक डॉ. शाजिया सिद्दीकी का कहना है, " गूगल से जानकारी लेकर खुद इलाज शुरू करने को साइबरकॉन्ड्रिया कहा जाता है। आजकल अक्सर देखने में आता है कि लोग बीमार होने पर प्राथमिक स्तर पर इंटरनेट का सहारा लेते हैं। जब स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है तभी डॉक्टर के पास जाते हैं। इंटरनेट पर आसानी से चिकित्सा जानकारी उपलब्ध हैं जिसके कई फायदे हैं, लेकिन सी बीमारियों में इंटनेट की जानकारी सटीक नहीं हो सकती है। ऐसे में इंटरनेट से दवा लेने से बचना चाहिए।"

"कई बार तो देखने में आता है कि मरीज अपनी सुविधा और ज्ञान के आधार पर कई जांच करवाते हैं। मरजी इंटरनेट से उसकी बीमारी के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं, लेकिन जो जानकारी वे पढ़ रहे हैं उसका अपनी समझ के अनुसार मतलब न निकालें। ऐसा करने से उन्हें और उनके डॉक्टर दोनों को परेशानी उठानी पड़ती है।" उन्होंने आगे बताया। 

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