दिल्ली पुलिस के इस काम के बारे में जानकर बदल जाएगी पुलिस के लिए आपकी सोच

Update: 2017-07-17 12:33 GMT
दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर प्रियंका ने एक बुजुर्ग की जिस तरह मदद की वह एक प्रशंसनीय है।

लखनऊ। पिछले कुछ समय से पुलिस जिस तरह से जनता से जुड़ने का सीधा प्रयास कर रही है और उनकी मदद करने की कोशिश कर रही है यह वाकई काबिल-ए-तारीफ। समाज में पुलिस की जो नकारात्मक छवि बनी थी वह अब धीरे-धीरे बदल रही है। पुलिस वाले अब लोगों की मदद के लिए खुलकर आगे आ रहे हैं और इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं। हाल ही में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर प्रियंका ने एक बुजुर्ग की जिस तरह मदद की वह एक प्रशंसनीय है।

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उत्तर प्रदेश वुमेन पॉवर लाइन के आईजी नवनीत सिकेरा ने शनिवार को अपनी फेसबुक वॉल पर प्रिंयका के बारे में लिखा। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर प्रियंका ने एक राह भटके बुजुर्ग को किस तरह उसके घर तक पहुंचने में मदद की।

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नवनीत सिकेरा लिखते हैं, दिल्ली पुलिस में एक सब इंस्पेक्टर हैं प्रियंका। रविवार को मुख्यमंत्री निवास के पास इनकी ड्यूटी थी। प्रियंका को काफी परेशान हालत में एक बुजुर्ग घूमते दिखाई दिए। महिला पुलिसकर्मी ने जब बुजुर्ग से घूमने का कारण पूछा तो वह कुछ भी नहीं बता सके और बेहोश हो गए। होश में आने पर भी उन्हें कुछ याद नहीं था। इसके बाद उनके जेब की जब तलाशी ली गई तो पुलिसकर्मियों को डॉक्टर की एक पर्ची, रेल टिकट और कुछ रुपये मिले। पर्ची से मालूम हुआ कि बुजुर्ग का नाम 90 वर्षीय रामनाथ है। रेल का टिकट इटावा से आने वाली ट्रेन का था।

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इसके बाद महिला सब इंस्पेक्टर ने डॉक्टर की पर्ची पर दर्ज नंबर पर फोन कर डॉक्टर से बात की। हुलिया बताने पर डॉक्टर ने बुजुर्ग को पहचान लिया और बताया कि वह मधुमेह के मरीज हैं। साथ ही डॉक्टर ने बुजुर्ग के गांव का नाम भी बताया जो कालपी के पास था। गांव के नाम के सहारे प्रियंका ने संबंधित थाने के पुलिस अधिकारियों से संपर्क साधा। इसके बाद बुजुर्ग के परिजनों से बात कर रविवार शाम को उन्हें परिजनों को सौंप दिया।

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जांच में मालूम हुआ कि बुजुर्ग रामनाथ दिल्ली अपने नेत्रहीन बेटे से मिलने आए थे। उनका बेटा 50 वर्षीय नाथू राम दिल्ली के स्कूल में पढ़ाते हैं। बुजुर्ग 6 जुलाई को एक रिश्तेदार के साथ अपने बेटे से मिलने दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उनका बेटा नाथूराम उन्हें लेने आया था। इस दौरान बुजुर्ग बेटे से बिछड़ गए। इसके बाद वह पुरानी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में तीन दिन तक भटकते रहे।

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