एकता परिषद का जन आंदोलन 2018 समाप्त, सरकार को छह महीने का अल्टीमेटम
एकता परिषद ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के चलते सत्ताग्रह को समाप्त कर दिया गया है। अगर आश्वासन पर अमल नहीं होता है तो फिर सड़कों पर उतरेंगे।
लखनऊ। जल,जमीन और जंगल को लेकर ग्वालियर से शुरु हुआ 25 हजार भूमिहीन ग्रामीणों और किसानों का आंदोलन मुरैना में समाप्त हो गया। एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही ने कहा कि संवाद का रास्ता खुलने से संघर्ष का रास्ता फिलहाल स्थगित किया गया है। आदिवासी अपने अपने राज्यों को लौटने लगे हैं।
एकता परिषद ने गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर से 25 हजार भूमिहीन किसानों के साथ दिल्ली के लिए कूच किया था। इस आंदोलन को जनआंदोलन 2018 नाम दिया गया था। आंदोलन में देश के कई राज्यों के गरीब भूमिहीन किसान, आदिवासी और मजदूर शामिल थे। आंदोलन को कई नामी लोगों का समर्थन हासिल था, इनमें बीजेपी के पूर्व वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा और संघ विचारक गोवंदाचार्य शामिल थे। आंदोलन के दिल्ली कूच से पहले आयोजित जन चर्चा में कई नेता और मंत्री शामिल हुए थे। ग्वालियर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पहुंचे थे, तो मुरैना में 6 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता कमलनाथ भी शामिल हुए थे। राहुल गांधी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आश्वासन दिया था, कि उनकी सरकार आई तो आदिवासियों के अधिकारियों के लिए काम करेंगे।
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एकता परिषद के सचिव अनिल गुप्ता ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "आंदोलन का पहला फेज खत्म हो गया है, क्योंकि बातचीत का सिलसिला शुरु हो गया है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव जी से बात हुई है, उनके साथ राजगोपाल और हमारे कई साथियों की बैठक होगी, जिसके बाद सरकार से वार्ता होगी। एकता परिषद संवाद में विश्वास करता है।"
एकता परिषद ने अपनी पांच मांगों को लेकर पदयात्रा शुरु की थी। इन मांगों में आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून, जमीन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालय बनाए जाने, राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा और उसका क्रियान्वयन, वनाधिकार कानून 2005 व पंचायत अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समिति बनाए जाने की बात शामिल थी।
आंदोलन की समाप्ति पर परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही ने जारी वीडियो में कहा "हर संघर्ष का निष्कर्ष संवाद से निकलता है। एक संवाद ग्वालियर में सत्ताधारी सरकार से हुआ और दूसरा संवाद विपक्ष से मुरैना में स्थापित हुआ। बीजेपी के कई मंत्रियों से साथ चलने की बात कही है। अगले छह महीने में चुनाव है। जनप्रतिनिधियों ने 25 हजार लोगों के सामने वादा किया है कि वो चुनाव जीनते पर क्या करेंगे। और हमारी पांच मांगों को कैसे देखते हैं।"
आंदोलन खत्म होने की एक वजह पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होना भी बताया जा रहा है। एकता परिषद ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के चलते सत्ताग्रह को समाप्त कर दिया गया है। अगर आश्वासन पर अमल नहीं होता है तो फिर सड़कों पर उतरेंगे। आदोलन की अगुवाई पी.वीपी राजगोपल, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, गांधी वादी सुब्बा राव कर रहे थे।
What does 25,000+ people marching look like? Something like this!
— Ekta Parishad (@Ekta_Parishad) October 5, 2018
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