सोशल मीडिया ग्रामीणों को बना रही बीमार

एक अध्ययन के अनुसार हर छह में से एक व्यक्ति को सोशल मीडिया से होने वाली समस्या पैदा हो जाती है, जिससे तनाव पैदा होता है और दूसरी समस्याएं घेर लेती हैं

Update: 2019-09-14 13:53 GMT

लखनऊ। गाँवों में सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग लोगों को बीमार बना रहा है। इंटरनेट का उपयोग करने वाले हर छह में से एक व्यक्ति को सोशल मीडिया से होने वाली समस्या पैदा हो जाती है, जिससे तनाव होता है और दूसरी समस्याएं घेर लेती हैं।

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) और यूपी हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट (यूपीएचएसएसपी) यूपी के चार जिलों में 12,000 लोगों के बीच किए गए अध्यन से पता चला कि 90 प्रतिशत लोग किसी न किसी तनाव का शिकार हैं। इस सर्वे का उद्देश्य 13 से 75 वर्ष की आयु के लोगों में तनाव, तनाव से मुकाबले की क्षमता, अवसाद, चिंता और इंटरनेट की लत (सोशल मीडिया) का अध्ययन करना था।

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"मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी मानव शरीर के बॉडी क्लॉक (शारीरिक गतिविधियां) को नियंत्रित करने वाले हार्मोन मेलाटोनिन का रिसाव रोकती है। मेलाटोनिन नींद आने का एहसास कराता है, लेकिन रिसाव रुक जाने से व्यक्ति देर तक जागता रहता है। जब नींद ठीक से नहीं आएगी तो दूसरी बीमारियां होने लगती हैं," किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में मनोरोग विभागाध्यक्ष पीके दलाल ने कहा।


अध्ययन में पता चला कि ग्रामीण खून की कमी, सांस की समस्या, हार्ट अटैक और कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। वहीं, शहरी लोगों को हाइपर टेंशन, मोटापा, मधुमेह, किडनी और आंत से जुड़ी हुई बीमारियां घेर रही हैं।

विश्व के 67 देशों में मार्केट रिसर्च और उपभोक्ताओं को परामर्श देने वाली कंपनी कंतार आईएमआरबी (Kantar IMRB) की वर्ष 2018 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 1.3 अरब आबादी में से 56 करोड़ इंटरनेट का प्रयोग करते हैं। इसमें से 31.5 करोड़ शहरी और 25.1 करोड़ ग्रामीण हैं। वर्ष 2018 में ग्रामीण उपभोक्ताओं में 35 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।

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"व्यक्ति को कम से कम 6-8 घंटे नींद लेनी चाहिए। ऐसा न होने पर शुगर से भरपूर और जंक फूड खाने की इच्छा बढ़ने लगती है, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। कम नींद लेने की वजह से शरीर में कोशिकाओं को काफी नुकसान होता है," डॉ. दलाल कहते हैं।

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अध्‍ययन में पाया गया कि हर पांचवां व्‍यक्ति लंबे समय से चली आ रही किसी न किसी बीमारी से ग्रस्‍त है। ज्‍यादातर को उच्‍च रक्‍तचाप या खून की कमी की शिकायत है। किशोरों में तनाव का मुख्‍य कारण उनकी पढ़ाई पाई गई।

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक डॉ. सुजीत कर कहते हैं, "पुराने समय में लोग खाली समय में आपस में बात करते, पसंदीदा खेल खेलते, घर से बाहर टहला करते थे। ग्रामीणों में यह आदत ज्यादा थी, लेकिन अब खेल-कूद से लोगों ने दूरी बना ली है, शारीरिक श्रम कम हो गया है। जब मेहनत नहीं करेंगे तो निश्चित ही वजन बढ़ेगा और शुगर, उच्च रक्तचाप, नींद न आने जैसी बीमारियां पैदा होंगी।"

सोशल मीडिया का चाव इस कदर हावी है कि लोग खाने-पीने और नींद का भी ध्यान नहीं रखते। फेसबुक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार कुल 30 करोड़ भारतीयों का फेसबुक पर अकाउंट है। वहीं, व्हाट्सऐप पर लगभग 20 करोड़ भारतीय हैं। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।


"सोशल मीडिया वेबसाइट्स आज लोगों की जिंदगी का एक अहम हिस्‍सा बन गई हैं। थोड़ी देर के लिए भी लोग इनसे दूर होते हैं तो वे बेचैन हो जाते हैं," डॉ. दलाल समझाते हैं।

"कई शोधों से पता चल चुका है कि 70 प्रतिशत शारीरिक बीमारियां मानसिक बीमारियों से जुड़ी होती हैं, और मानसिक बीमारी तब होती है जब आप तनाव में होते हैं। जब आपके ऊपर दबाव नहीं होगा तो आपका शरीर भी आपका साथ देगा तो जितना ज्यादा आप मानसिक रूप से स्वस्थ्य होंगे उतना ही शारीरिक रूप से भी स्वस्थ्य होंगे," प्रो. दलाल कहते हैं। 

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