असीमा चटर्जी, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला

Update: 2017-09-23 12:45 GMT
असीमा चटर्जी।

लखनऊ। हमारे देश में कहा जाता है कि आज लड़कियां लड़कों से किसी भी मामले में कम नहीं है। लेकिन अगर अस्सी दशक पहले यानि 1920 का दौर जब लड़कियों को पढ़ाना तो दूर घर से निकलने पर भी पाबंदी होती थी। बावजूद इसके एक महिला ऐसी थी जिन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से रसायन विज्ञान में अध्ययन कर डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की व ऐसा करने वाली वह देश की पहली महिला बनीं। हम बात कर रहे हैं असीमा चटर्जी की। जानिए असीमा चटर्जी के जीवन से जुड़ी कुछ बातें...

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  • असीमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर 1917 को कलकत्ता में हुआ था।
  • 1920-30 के दशक में पश्चिम बंगाल की राजधानी में कोलकाता में असीमा चटर्जी अचानक से चर्चा में आई थीं।
  • उस दौर में जहां भारत की गिनी चुनी महिलाएं साक्षर थीं, तब असीमा ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से रसानशास्त्र (chemistry) में ग्रेजुएशन किया।
  • साल 1936 में ऑर्गेनिक रसायनशास्त्र विषय में असीमा ने ग्रेजुएशन किया।
  • असीमा ने साल 1944 में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की।
  • डॉक्टर चटर्जी ने मुख्य रूप से भारत के पौधों के औषधीय गुणों का अध्ययन किया।
  • डॉक्टर असीमा ने वेनेका अल्कोडिश को शोध के लिए चुना और कई गंभीर बिमारियों में इसके उपयोग को साबित किया।
  • यह शरीर की कोशिकाओं में फैलकर कैंसर के फैलने की गति को काफी धीमा कर देता है।
  • डॉक्टर असीमा चटर्जी के शोध से मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की दवा तैयार करने में सफलता हासिल हुई।
  • विज्ञान के क्षेत्र में उनके इसी योगदान को देखते हुए उन्हें इंडियन सांइस कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनने का मौका मिला।
  • भारत सरकार ने 1975 में उन्हें पद्भूभूषण से सम्मानित किया।
  • महान शोधकर्ता डॉक्टर असीमा 2006 में 90 साल की उम्र में इस दुनिया से चली गईं।

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गूगल ने असीमा के सम्मान में बनाया डूडल

असीमा चटर्जी के 100 वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में गूगल ने उनका डूडल बनाया है। इस डूडल में असीमा चटर्जी की फोटो बनाई गई है।

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