लखनऊ। हमारा देश खेलकूद की दिशा में प्रगति कर रहा है ऐसे में खिलाड़ियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें ये समय की मांग है। इसी को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने देश के पांच चिकित्सा संस्थानों को मेडिसिन विभाग की स्थापना के लिए 12.5 करोड़ रुपए देने का फैसला किया है, जिसमें उत्तर प्रदेश में केजीएमयू को चुना गया है।
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खेलों में खिलाड़ियों को अक्सर चोटें लगती रहती हैं, जिनका उपचार सामान्य चिकित्सकों द्वारा ही किया जाता है। विशेष रूप से इसी कार्य के लिए प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सक, फिजियोथेरेपिस्ट एवं इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध चिकित्सा केन्द्रों के अभाव में खिलाड़ियों का पूरा करियर बिगड़ सकता है।
उदाहरण के लिए एथेलेटिक्स में 34 फीसदी, कबड्डी में 27 फीसदी एवं खो-खो इत्यादि में 23 फीसदी तक खिलाड़ियों को चोटें आती हैं। अधिकतर चोटें (80 फीसदी) पैरों में देखी गई हैं इनमें से अधिकतर चोटें आसानी से ठीक हो जाती हैं, लेकिन पांच से 10 फीसदी चोटों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं विशिष्ट सुविधाओं से युक्त खेल मेडिसिन सेण्टर की आवश्यकता है।
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यह राशि स्पोर्टस मेडिसिन विभाग की स्थापना एवं उसको पांच वर्षों तक चलाने के लिए स्वीकृत की गई है उसके बाद विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी होगी। उत्तर प्रदेश में 68 स्टेडियम, तीन खेल कॉलेज, पांच हॉकी स्टेडियम, 13 बास्केटबॉल स्टेडियम एवं अन्य बहुत से खेल संस्थान है, लेकिन एक ही इस प्रकार का विशिष्ट खेल मेडिसिन का चिकित्सा संस्थान नहीं है। उत्तर प्रदेश का प्रथम एवं भारत का छठा खेल मेडिसिन विभाग केजीएमयू लखनऊ में स्थापित हो रहा है। शताब्दी अस्पताल में इस विभाग की स्थापना प्रस्तावित है एवं विश्वविद्यालय द्वारा मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रदेश सरकार से भी इस विषय में सहयोग प्रदान करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी गई है।
प्रो.एमएलबी भट्ट, कुलपति केजीएमयू ने इस संदर्भ में गाँव कनेक्शन से बताया कि केंद्र सरकार ने 12.50 करोड़ दिए हैं। डॉक्टर और जगह विभाग को देनी थी जो हम दे देंगे। अगले वर्ष से दो एमडी एवं तीन डिप्लोमा इन खेल मेडिसिन पोस्टग्रजुएट आरम्भ हो जाएगा। पांच साल बाद इस विभाग को चलाने की मांग हमको प्रदेश सरकार से करनी होगी।
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