हस्तशिल्प प्रदर्शनी से कारीगरों का हुनर आएगा लोगों के सामने

Update: 2017-12-09 18:12 GMT
देश भर में आठ से 14 दिसम्बर तक हस्तशिल्प सप्ताह मनाया जाता है।

देश भर में आठ से 14 दिसम्बर तक हस्तशिल्प सप्ताह मनाया जाता है। ये देश के सभी राज्यों में लोगों के बीच हस्तशिल्प के बारे में समाज में जागरुकता, सहयोग और इसके महत्व को बढ़ाने के लिये मनाया जाता है। ये पूरे सप्ताह का समारोह पूरे देश के सभी कारीगरों के लिये विशेष समय है क्योंकि उन्हें पूरी दुनिया में अपने महान कार्यों को उजागर करने का बहुत बड़ा अवसर मिलता है। इस सप्ताह में ये आयोजित प्रदर्शनी पूरे देश के लाखों समर्पित हस्तशिल्प कारीगरों के लिये बड़ी उम्मीद और अवसर प्रदान करता है।

भारत हस्तशिल्प का सबसे अच्छा केन्द्र माना जाता है। यहाँ दैनिक जीवन की सामान्य वस्तुएँ भी कोमल कलात्मक रूप में गढ़ी जाती हैं। ये आधुनिक भारत की विरासत के भाग हैं। ये कलाएँ हजारों सालों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी पोषित होती रही हैं और हजारों हस्तशिल्पकारों को रोजगार प्रदान करती हैं। इस प्रकार देखा जा सकता है भारतीय शिल्पकार किस तरह अपने जादुई स्पर्श से एक बेजान धातु, लकड़ी या हाथी दाँत को कलाकृति में बदलकर भारतीय हस्तशिल्प को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाते हैं।

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इस बार उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पहली बार राज्य स्तर की हस्तशिल्प प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया। इसमें लगभग हस्तशिल्प के 70 से अधिक स्टाल लगाए गए हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए निदेशक संस्कृति हीरालाल ने बताया, ''उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और जनपद में कोई न कोई बहुमूल्य हस्तशिल्प का उत्पादन होता है। ऐस में हस्तशिल्पियों को बाजार देने के लिए इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।'' उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी से प्रदेश के कोने-कोने में रहने वाले हस्तशिल्प बाजार तक पहुंचेगे और हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन भी मिलेगा।

यूपी हस्तकला की वेबसाइट के अनुसार देश के कुल निर्यात में हस्तशिल्प की सहभागिता लगभग 70 प्रतिशत है। एनसीएआईआर द्वारा वर्ष 1995-96 में कराये गये सर्वेक्षण के आधार पर दिसम्बर 1997 में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 2,83,804 इकाईयों में 11,76,529 शिल्पी कार्यरत हैं। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 25 लाख हस्तशिल्पी अनुमानित है।

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उत्तर प्रदेश व्यापार प्रोत्साहन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेश कुमार ने बताया, ''राज्य सरकार ने शिल्पियों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं, कारीगर अधिक से अधिक प्रदर्शनी में भाग ले सकें। प्रदर्शनी में शिल्पियों के लिए निःशुल्क स्टाल आवंटित किये गये हैं। इस प्रदर्शनी की सफलता को देखते हुए अगले वर्ष से बड़े पैमाने पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा।''

जानिए कौन सा राज्य किस हस्तकला के लिए जाना जाता है

यह हस्तशिल्प भारतीय हस्तशिल्पकारों की रचनात्मकता को नया रूप प्रदान करने लगे हैं। भारत का प्रत्येक क्षेत्र अपने विशिष्ट हस्तशिल्प पर गर्व करता है। उदाहरणार्थ— उत्तर प्रदेश में मुख्यत: बनारसी शिल्प में ब्रोकेट, भदोही व मिर्जापुर में कालीन, लखनऊ में चिकन तथा आगरा का कलात्मक संगमरमर का सामान, मुरादाबाद तथा वाराणसी में पीतल के पात्र एवं सहारनपुर में नक्काशीदार लकड़ी स्टोन आदि की माँग अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक है। कश्मीर कढ़ाई वाली शालों, गलीचों, नामदार सिल्क तथा अखरोट की लकड़ी के बने फर्नीचर के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान बंधनी काम के वस्त्रों, कीमती हीरे-जवाहरात जरे आभूषणों, चमकते हुए नीले बर्त्तन और मीनाकारी के काम के लिए प्रसिद्ध है।

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आंध्रप्रदेश अपने बीदरी के काम तथा पोचमपल्ली की सिल्क साड़ियों के लिए प्रख्यात है। तमिलनाडु ताम्र मूर्त्तियों एवं कांजीवरम साड़ियों के लिए जाना जाता है तो मैसूर रेशम और चंदन की लकड़ी की वस्तुओं के लिए तथा केरल हाथी दाँत की नक्काशी व शीशम की लकड़ी के उपस्कर के लिए प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश की चंदेरी और कोसा सिल्क, लखनऊ की चिकन, बनारस की ब्रोकेड़ और जरी वाली सिल्क साड़ियाँ तथा असम का बेंत का उपस्कर, बांकुरा का टेराकोटा तथा बंगाल का हाथ से बुना हुआ कपड़ा, भारत के विशिष्ट पारम्परिक सजावटी दस्तकारी के उदाहरण हैं।

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