पत्रकारिता के जरिए गांव को सामने ला रहा है ‘गांव कनेक्शन’ : पंकज त्रिपाठी

Update: 2017-12-02 15:49 GMT
मसान फेम अभिनेता पंकज त्रिपाठी।

लखनऊ। "जैसे पेड़ अपनी जड़ों से कट जाए तो वह जिंदा नहीं रह सकता है, मेरा गांव कनेक्शन कुछ इस तरह से ही है। अपने गांव को याद करते हुए फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में सुल्तान कुरैशी का पात्र निभाने वाले मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने कहा।”

पंकज त्रिपाठी 10वीं की पढ़ाई के बाद पटना आए, रंगमंच से एनएसडी पहुंचे और फ़िर फ़िल्मों में। वर्ष 2004 में फिल्म 'रन' से बॉलीवुड में एंट्री हुई, वह अब तक 40 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं और तकरीबन साठ से अधिक सीरियलों में कई किरदार अदा कर चुके हैं। वर्ष 2012 में आई फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से उनकी पहचान जनता के बीच होने लगी।

गांव कनेक्शन को दिए बधाई संदेश को सुनें

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गांव कनेक्शन की पांचवी सालगिरह पर बधाई देते हुए मसान फेम अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने कहाकि, "पत्रकारिता के जरिए गांव कनेक्शन, गांव को सामने ला रहा है, फ्रंट पेज पर ला रहे हैं।" उनका गांव कनेक्शन अखबार से कैसे कनेक्शन हुआ इस पर उन्होंने बताया कि, "मेरा कनेक्शन नीलेश जी से था, उनकी कहानियों से था, मुझे वह बहुत प्रभावित करती थी, रेडियो की "याद शहर" की कहानियों से, बाद में पता चला कि दरअसल वह गांव कनेक्शन है।"

पंकज त्रिपाठी का बिहार के गोपालगंज जिला के बेलसंड गांव में बना मकान।

बिहार के गोपालगंज जिला के बेलसंड गांव के एक किसान परिवार से पंकज त्रिपाठी का ताल्लुक है उनके गांव में आज भी पक्की सड़क नहीं है। गांव से 20 किलोमीटर दूर एकमात्र सिनेमा हॉल है।

इसे सुनें पंकज त्रिपाठी: किसान से अभिनेता बनने का सफर

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अपने गांव को याद करते हुए पंकज बताते हैं, "जैसे पेड़ अपनी जड़ों से कट जाए तो वह जिंदा नहीं रह सकता है, मेरा गांव कनेक्शन कुछ इस तरह से ही है। अगर हम स्टीरियो टाइप की बात न करें, जैसे गांव सिर्फ रोटियां, गेहूं, दलहन, तिलहन ही नहीं पैदा करता वहां प्रतिभाएं भी पैदा करता है।" आगे वो कहते हैं, "भारत के गांव प्रतिभाएं भी पैदा करते हैं, जो यूथ हैं गांव के उनको थोड़ी सी गाईडेंस चाहिए, थोड़ा सा मार्गदर्शन चाहिए, उनमें अपार संभावनाएं हैं।"

फिल्म न्यूटन में एक बार फिर से पंकज त्रिपाठी का अभिनय चर्चा में आया है।

‘न्यूटन’ में बौद्धिकता बघारने का प्रयास नहीं किया गया है :  पंकज त्रिपाठी

महानगरों में रहने वाले लोगों को आईना दिखाते हुए मसान फेम अभिनेता कहते हैं कि, "बड़े-बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को अपना थोड़ा नजरिया बदलना होगा सेंसेक्स ग्रोथ दे सकता है, पर रोटियां नहीं दे सकता है, रोटियां खेतों के जरिए थाली में आती हैं।"

कुछ सोचते अभिनेता पंकज त्रिपाठी।

पंकज ने 'मांझी: द माउंटेन मैन' में निभाए रोल से बनाया अपने अभिनय का दीवाना

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'फुकरे', 'मसान', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'ओमकारा', 'गुंडे', 'निल बटे सन्नाटा', 'अनारकली ऑफ आरा' और 'मांझी: द माउंटेन मैन' जैसी कई बेहतरीन फिल्में करने वाले पंकज कहते हैं कि 'न्यूटन' के ऑस्कर में जाने की उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी। पंकज त्रिपाठी ने न्यूटन' में एक असिस्टेंट कमांडेंट का किरदार निभाया है। आठ दिसंबर को रिलीज होने वाली 'फुकरे रिटर्न्स' में वह नजर आएंगे। पंकज सुपरस्टार रजनीकांत के साथ भी एक फिल्म में काम करने जा रहे हैं।

नीचे देखिए फिल्म मसान में पंकज त्रिपाठी, आप अकेले रहते हैं

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पंकज त्रिपाठी के बारे में उनके अभिनय के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, और उनके प्रशंसक लगातार कुछ न कुछ जानकारी उनके बारे में शेयर करते रहते हैं, गांव कनेक्शन के एक पूर्व साथी घूमते फिरते पंकज त्रिपाठी के गांव पहुंच गए और गांव में मिले डॉक्टर सुधीश नारायण तिवारी जो पंकज त्रिपाठी के पड़ोसी हैं, उनसे हुई बातचीत उन्होंने गांव कनेक्शन से शेयर किया।

पंकज त्रिपाठी का फेसबुक पर जवाब।

हमने पूछा कि पंकज सर घर आते हैं तो सबसे मिलते हैं या नहीं? तब सुधीश तिवारी ने बताया कि पंकज बचपन से ही जमीनी आदमी है। हमसब साथ में ड्रामा कर चुके है। पंकज घर आता है तो सबसे मिलता है। साथ मे बैठ भुजा खाता है। दुःख-सुख पूछता है। एक रात के लिए भी आता है तब भी सबसे मिलने की कोशिश करता है। पंकज हीरो तुम लोगों के लिए है, हमारे लिए 'पंकजवा' है।

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नाटक में करते थे लड़की का रोल

एक अखबार को दिए साक्षात्कार में अपने पिता के सपने को याद करते हुए पंकज त्रिपाठी ने कहा था कि, जब मैं गांव में रहता था तो पिताजी कहते थे कि तुम डॉक्टर बनना और पटना में काम करना, पर मेरा मन तो पढ़ाई में लगता ही नहीं था। अगर अभिनेता नहीं बनता तो खेतीबाड़ी का काम देखना पड़ता। मैंने कई पर सरस्वती पूजा में हुए नाटक में एक लड़की का अभिनय भी किया है। लोग चिढ़ते पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था।

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पंकज अपने किरदार को बड़ी शिद्दत से निभाते हैं चाहे वह गैंग्स ऑफ वासेपुर का सुल्तान कुरेशी हो, या फुकरे का पंडित जी, उन्होंने हर किरदार को रुपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया है।

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