नोटबंदी भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में ‘अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति’ : मनमोहन सिंह 

Update: 2017-11-07 17:11 GMT
मनमोहन सिंह , पूर्व प्रधानमंत्री। फोटो साभार: इंटरनेट

नई दिल्ली (आईएएनएस)। 8 नवम्बर 2017 को नोटबंदी का एक साल पूरा हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में यह 'अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति' साबित होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि इस 'भारी गलती' को स्वीकार करें और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए आम सहमति की दिशा में काम करें।

उन्होंने ब्लूमबर्गक्विंट डॉट कॉम से कहा, "नोटबंदी एक विनाशकारी आर्थिक नीति (कैटस्ट्रॉफिक इकोनॉमी पॉलिसी) साबित होने जा रही है। इसके कारण कई तरह की आर्थिक, सामाजिक, प्रतिष्ठात्मक और संस्थागत क्षति हुई है। जीडीपी का गिरना आर्थिक नुकसान का महज एक संकेतक है। इसका हमारे समाज के गरीब तबकों पर तथा व्यापार पर जो असर हुआ है, वह किसी आर्थिक सूचक की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक है।"

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पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "इसका (नोटबंदी का) तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है। हमारे देश की तीन चौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं। नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं।"

उन्होंने कहा, "मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक असर के बारे में चिंतित हूं। हालांकि जीडीपी में हाल की गिरावट के बाद सुधार दिख रही है लेकिन हमारे आर्थिक विकास की प्रकृति के लिए बढ़ती असमानता एक बड़ा खतरा है। नोटबंदी इसे बढ़ा सकती है, जिसे भविष्य में सुधारना कठिन होगा।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी और कहा था कि इससे काले धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा और आतंकवादियों के वित्त पोषण पर रोक लगेगी। हालांकि बाद में उन्होंने यह कहा किया कि इसका उद्देश्य नकदी लेन-देन को कम करने तथा अर्थव्यवस्था को डिजिटल भुगतान की तरफ ले जाना है।

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मनमोहन सिंह ने कहा कि यह लक्ष्य प्रशंसनीय हैं लेकिन सरकार को आर्थिक प्राथमिकताओं को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह साफ नहीं है कि नकदीरहित अर्थव्यवस्था का लक्ष्य छोटे उद्योग को बड़ा बनाने में सक्षम होगा ही जबकि यह हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।

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