एक महीना योगी का: सरकारी भवनों में पान मसाले पर प्रतिबंध के फैसले को सिर्फ 12.9 फीसदी जनता ने बताया असरदार निर्णय
लखनऊ। शपथ लेने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से एक्शन में हैं। योगी सरकार के कई फैसले पूरे देश में छाए रहे। कई फैसले सोशल साइटों पर ट्रेडिंग करने लगे। इन्हीं फैसलों में से एक फैसला था सभी सरकारी कार्यालयों, चिकित्सालयों तथा शिक्षण संस्थानों में पान, गुटखा, तंबाकू, पान-मसाले पर प्रतिबंध लगाना।
योगी आदित्यनाथ सभी सरकारी परिसरों में पॉलीथीन के प्रयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के भी निर्देश दिए हैं। ये फैसला चर्चा में तो रहा लेकिन प्रदेश की जनता योगी सरकार के इस फैसले को असरदार नहीं मानती।
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गांव कनेक्शन के सर्वे के अनुसार मात्र 12.9 प्रतिशत लोगों ने सरकारी कार्यालयों में पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने को असरदार माना है। जबकि 25.4 प्रतिशत लोगों ने माना कि प्रदेश में एंटी रोमियो का गठन दूसरा सबसे असरदार फैसला है। 38.1 प्रतिशत के साथ बूचड़खानों पर प्रतिबंध प्रदेश की जनता की नजर में सबसे बड़ा फैसला है। वहीं 23.7 फीसदी लोगों ने वीआईपी कल्चर को खत्म करने के फैसले को असरदार माना।
क्या है फैसला
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि प्रदेश के सभी कार्यालयों में अफसर पान-गुटखा खा कर ना आएं। आदित्यनाथ ने यह आदेश एनेक्सी में निरीक्षण के दौरान दिया था। इस निर्देश के बाद प्रदेश के प्रदेश के सभी दफ्तरों में पान गुटखा खाकर आने पर रोक लग गई है।
शुरू हुई कार्रवाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकारी गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर पर 500 रुपए का जुर्माना लगाया गया था। आदित्य प्रकाश नाम का उनका ड्राइवर एनेक्सी (मुख्यमंत्री कार्यालय परिसर) में तंबाकू खा रहा था। तभी उसे सचल दल ने पकड़ लिया था। बताते चलें कि मुख्यमंत्री के ही निर्देश पर सचिवालय प्रशासन ने सचिवालय के सभी भवनों में पान, पान मसाला या गुटखा खाने वालों को पकड़कर जुर्माना लगाने के लिए सचल दल का गठन कर दिया गया है।
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बताते चलें कि पहले जुर्माना 100 रुपए था लेकिन अब उसे बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कार्यभार संभालते ही सभी विभागों में स्वच्छता के लिए न सिर्फ अभियान चलवाया बल्कि अधिकारियों व कर्मचारियों को स्वच्छता की शपथ भी दिलवाई। सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेन्द्र मिश्र और संयुक्त सचिव कल्पना पाठक ने कहा कि मौजूदा सरकार अपने फैसलों से यह संदेश देने में सफल रही है कि ईमानदार अधिकारियों को काम करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।