लखनऊ। आज एक रुपए का नोट 100 साल का हो गया है। पहले विश्व युद्ध के दौरान आज ही के दिन 30 नवंबर 1917 को एक रुपए का नोट छपकर आया था। इसमें किंग जॉर्ज पंचम की तस्वीर थी। रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक इसे 1926 में बंद कर दिया गया। हालांकि बाद में इसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1940 में फिर शुरू किया गया। हल्के कागज के इस नोट का सफर भी बड़ा यादगार रहा। आपको बताते है एक रुपए के नोट से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से...
- 1917 से लेकर 2017 तक के सफर के दौरान एक रुपए के नोट को अलग-अलग सीरियल नंबर और हस्ताक्षर के बदलाव के कारण 125 बार बदलना पड़ा।
- 100 के सफर के दौरान एक रुपए के नोट के डिजाइन को 28 बार बदलना पड़ा।
- पहले एक के नोट पर तीन ब्रिटिश वित्त सचिवों ने हस्ताक्षर किए थे। एमएमएस गुबे, एसी मैकवाटर्स और एच डेनिंग।
- 30 नवंबर 1917 को एक रुपए के पहले नोट में टेक्स्ट के रूप में लिखा था 'मैं अदा करने का वचन' का वचन देता हूं।
- 1949 में भारत की आजादी के बाद एक रुपए के नोट में किंग जार्ज पंचम की जगह चीता और अशोक के स्तंभ को जगह दी गई।
- एक रुपए के नोट की मंहगी छपाई के चलते 1995 को नोटों की छपाई को रोक दिया गया। हालांकि 2015 में फिर से इसकी शुरूआत की गई।
- एक रुपए का नोट अकेला ऐसा नोट है जिसमें भारत सरकार लिखा था। बाकी के नोटों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लिखा रहता है।
- अन्य नोटों में आरबीआई गवर्नर के सिग्नेचर होते है अकेला एक रुपए का नोट ऐसा है जिसमें वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।
- 1985 में छपे एक नोट जिसमें एस वेंकटरमन के हस्ताक्षर थे को 21 जनवरी 2017 में क्लासिकल न्यूमिस्मेटिक्स गैलरी ने इस नोट को 2 लाख 75 हजार में खरीदा था।
- एक रुपए के नोट में सिल्वर लाइन नहीं होती है।
- एक रुपए के नोट पीछे आठ भारतीय लिपियों में एक रुपया लिखा होता है।
- भारत के कुछ राजवाड़ों में उनकी अपनी मुद्रा प्रचलित थी। इनमें हैदराबाद और कश्मीर को अपना एक रुपये का नोट छापने की इजाज़त मिली थी।
- विभाजन के बाद भी सालों तक पाकिस्तान में भी एक रुपये का नोट चलता रहा।
- टोडीवाला ऑक्शन में 1944 में छपे एक रुपये के 100 नोटों की एक गड्डी एक लाख 30 हज़ार रुपये में बिकी।
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