देश की मिट्टी में रचे बसे देसी बीज ही बचाएंगे खेती, बढ़ाएंगे किसान की आमदनी

हरित क्रांति के दुष्परिणामों के बाद खेती के तरीकों में बदलावों के बीच जैविक खेती की बात हो रही है और पुराने बीजों पर भरोसा जताया जा रहा है, खेती के बदलते स्वरूप पर गाँव कनेक्शन की विशेष सीरीज .. 'खेती में देसी क्रांति'

Update: 2018-09-04 07:34 GMT

अपने सीड बैंक में बाबूलाल दहिया.. इन्हें मध्य प्रदेश के ४० से ज्यादा जिलों का दौरा कर खुद किसानों तक पहुंच कर ये बीज एकत्र किए हैं। दहिया के मुताबिक शुरु में यहां भी संकर बीज किसानों के खेत तक पहुंच गए थे, लेकिन १९९० के दशक तक जब बारिश कम होने लगी, जंगल कटने लगे तो बदले माहौल में संकर बीजों का उत्पादन गिरने लगा, जिसके बाद एक बार फिर किसानों को देसी बीजों की याद आई। दहिया के मुताबिक हजारों वर्षों से देसी बीज भारत की जलवायु के मुताबिक ढल गए हैं। जो क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) से भी लड़ने में सक्षम है।



 



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