पाइक विद्रोह के शहीदों के वंशजों से मिले पीएम, क्या है पाइक विद्रोह?

Update: 2017-04-16 17:39 GMT
पाइक विद्रोह

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां ऐतिहासिक पाइक विद्रोह के शहीदों के वंशजों की मौजूदा पीढ़ी से मुलाकात की। पाइक विद्रोहियों ने ओडिशा में 1817 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था।

क्या है पाइक विद्रोह?

पाइक विद्रोह की शुरुआत 1817 ई. में अंग्रेज़ नीतियों के विरुद्ध किया गया था। यह विद्रोह उड़ीसा की 'पाइक' जाति के लोगों द्वारा शुरू किया गया था। पाइस लोगों ने 1817-1825 ई. के दौरान अपने नेता 'बक्शी जगबंधु' के नेतृत्व में इस विद्रोह को अंजाम दिया था।

अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ यह एक कड़ा विरोध था लेकिन कम्पनी सरकार ने इस विद्रोह को कुचल दिया और यह आन्दोलन खत्म हो गया। यह सशस्त्र विद्रोह था।

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इस विरोध का नेतृत्व करने वाले भारतीय मुक्ति संग्राम के सबसे आरम्भिक योद्धाओं में से एक जगबन्धु बिद्याधर महापात्र भ्रमरबर राय (बक्सि जगबन्धु ) खोर्द्धा के महाराजा के सेनापति थे। हैं। इन्होने ने ही इस आन्दोलन का नेतृत्व किया था।

पाइक विद्रोह में शहीद हुए लोगों के परिजनों से मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, "इतिहास को आज गर्व के साथ याद किया गया। शहीदों के वंशजों को देखना मेरे लिए सम्मान की बात है। दुर्भाग्य से कई वर्षो तक चला स्वतंत्रता आंदोलन कुछ व्यक्तियों और एक खास अवधि तक सीमित करके देखा गया। हमें उन घटनाओं और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने वाले लोगों को याद करना चाहिए।"

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मोदी ने राज्यपाल एस. सी. जमीर की मौजूदगी में राजभवन में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया।

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