इन आंकड़ों में देखिये राष्ट्रपति चुनाव, कोविंद ऐसे ही नहीं बनेगें महामहिम  

Update: 2017-06-21 20:27 GMT
रामनाथ कोविंद

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी द्वारा रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद विपक्ष की एकता टूट गई है। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी गठबंधन एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने की घोषणा की है।

तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) नेता और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने सोमवार (19 जून) को ही कोविंद को अपना समर्थन दे दिया था। नवीन पटनायक की बीजद भी कोविंद को समर्थन दे चुकी है। ऐसे में रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना अब लगभग तय हो चुका है।

नीतीश कुमार

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बसपा प्रमुख मायावती ने भी कहा है कि विपक्ष अगर दलित उम्मीदवार नहीं उतारता तो हम इसका विरोध करते लेकिन कोविंद को समर्थन देने को लेकर सकारात्मक हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष एक ऐसा उम्मीदवार तलाश रहा है जो रामनाथ कोविंद को टक्कर दे सके। विपक्ष की कोशिशो को केवल चेहरा बचाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि टीआरए, बीजद और जदयू के समर्थन के बाद आंकड़े बीजेपी के पक्ष में झुक गए हैं।

बसपा प्रमुख मायावती

राष्ट्रपति चुनाव सामान्य चुनाव की तरह सीधे मतदान से नहीं होता। राष्ट्रपति चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के तहत होता है जिसमें सभी सांसदों और विधायकों के वोटों का प्रतिनिधिक मूल्य होता है। राष्ट्रपति चुनाव में नामित सांसदों का वोट नहीं शामिल होता है। राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4120 विधायकों और 776 सांसदों का वोट शामिल होगा। हर सांसद के वोट का मूल्य 708 है, जबकि विधायक के वोट का मूल्य संबंधित राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। जिस राज्य की ज्यादा जनसंख्या होती है वहां के विधायकों के वोट का मूल्य ज्यादा होता है। कुल 100 प्रतिशत वोटों में से चुनाव जीतने के लिए किसी भी प्रत्याशी को 51 प्रतिशत वोट पाने होते हैं।

बीजेपी के पास 1352 विधायकों और 337 सांसद हैं जिनका वोट कुल वोटों का करीब 40.03 प्रतिशत है। शिव सेना जिसने मंगलवार (20 जून) को बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की उसके पास 63 विधायक और 21 सांसद हैं जिनका वोट प्रतिशत 2.34 है। बीजेपी के अन्य दलों का वोट मिलाकर एनडीए के पास कुल 48.64 प्रतिशत वोट है। यानी बीजेपी को कोविंद को जिताने के लिए करीब ढाई प्रतिशत वोट ही और चाहिए। वहीं यूपीए के पास करीब 35.47 फीसदी वोट शेयर हैं।

टीआरएस के पास 82 विधायक और 14 सांसद हैं जिनका कुल वोट प्रतिशत 1.99 है। नवीन पटनायक की बीजद ने भी कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। बीजद के पास 117 विधायक और 28 सांसद हैं और उसका कुल वोट प्रतिशत 2.98 है। जदयू के पास 73 विधायक और 12 सांसद हैं और उसका कुल वोट प्रतिशत 1.89 है। यानी एनडीए उम्मीदवार को टीआरएस, बीजद और जदयू के समर्थन से ही जीत मिल जाएगी।

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बीजद, टीआरएस और जदयू के समर्थन के बाद बीजेपी को कांग्रेस नीत गठबंधन यूपीए में नहीं शामिल कुछ छोटे दलों का समर्थन भी मिल सकता है। आइए एक नजर डालते हैं उन दलों पर जो बीजेपी का साथ दे सकते हैं। एआईएडीएमके के पास 139 विधायक और 50 सांसद हैं और उसका कुल वोट प्रतिशत 5.36 है। वाईएसआरसीपी के पास 66 विधायक और 10 सांसद हैं और उसका कुल वोट प्रतिशत 1.53 है। बसपा के पास 19 विधायक और छह सांसद हैं और उसका कुल वोट प्रतिशत 0.74 है। अगर इन दलों का भी साथ बीजेपी को मिल जाता है तो उसके पास 60 प्रतिशत से ज्यादा वोट होंगे और उसका प्रत्याशी सम्मानजनक अंतर से जीतेगा।

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