नई दिल्ली। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों भारत के दौरे पर हैं। इस दौरान भारत और इजरायल के बीच कृषि क्षेत्र में आपसी सहयोग पर जोर है। भारत में फल, फूल, सब्जियों और शहद के उत्पादन को बढ़ाने में में इजरायल सहयोग करने जा रहा है। जिसका नतीजा है कि देश में इजरायल की ओर से हरियाणा के रामनगर में मधुमक्खी पालन को विकसित करने के लिए एक विशिष्ट केंद्र खोला गया है।
यह भारत व इजरायल के संयुक्त प्रयास के तहत पूर्ण रूप से चलाए जाने वाले कृषि के 18 विशिष्ट केंद्रों में से एक है। यह भारत का 14वां और हरियाणा का चौथा सेंटर है। रामनगर का यह मधुमक्खी पालन केंद्र भारत और इजरायल की ओर से विकसित अपनी तरह का पहला केंद्र होगा। इसमें रानी मधुमक्खियों का विकास, क्वॉलिटी कंट्रोल लैब, उत्पाद को बढ़ाने, शहद के उत्पाद का चेन विकसित करने और पॉलिनेशन की सुविधाएं होंगी।
इस बारे में जानकारी देते हुए इजरायल के राजदूत डेनियल कारमोन ने कहा, '' कृषि के विशिष्ट केंद्र भारत और इजरायल की विकासशील साझेदारी का अहम हिस्सा हैं। हरियाणा पहला ऐसा राज्य है, जहां किसानों के लिए इस तरह की सुविधाएं बहाल की गई हैं। यहां भारत के अन्य राज्यों की तुलना में दोनों देशों के सहयोग से स्थापित कृषि के सबसे अधिक विशिष्ट केंद्र हैं।''
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उन्होंने कहा कि हमे उम्मीद है कि अन्य राज्यों में भी हरियाणा की तरह कृषि के विशिष्ट केंद्रों की स्थापना की जाएगी और भारतीय किसानों को कृषि संबंधित आधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने की दिशा में प्राइवेट सेक्टर भी आगे आएंगे।
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भारत और इजरायल ने साल 2017 में अपने पूर्ण राजयनिक संबंधों की 25वीं वर्षगांठ को मनाया है। इस अवसर पर भारत-इजरायल कृषि योजना (आईआईएपी) भारत की केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और इजरायल की अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग समिति (मशाव) के संयुक्त प्रयासों से भारत के नौ राज्यों में कृषि योजनाएं चल रही हैं।
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भारत और इजरायल कृषि कृषि योजना के तहत भारत में पहली बार साज-सज्जा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फूलों (कट फ्लॉवर) के लिए विशिष्ट केंद्र की शुरुआत तमिलनाडु के थली में की गई। इस योजना के तहत तमिलनाडु का भी यह पहला विशिष्ट केंद्र है। इसका उद्घाटन भी पिछले दिनों इजरायल की अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग समिति मशाव के प्रमुख ऐम्बैंसडर गिल हास्केल, काउंसल जनरल दाना कर्श और भारत में मशाव के प्रमुख दान अलुफ ने किया। यह दोनों देशों के सहयोग से भारत में पूरी तरह कार्यान्वित कृषि का 15वां विशिष्ट केंद्र है।
भारत के किसान रंग-बिरंगे सीताफल के साथ बीज रहित मिर्च की खेती कर सकें इसके लिए भी इजरायल भारत का सहयोग कर रहा है। इजरायल के वोल्कनी इंस्टिट्यूट एग्रीकल्चरल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने साल 1936 में बीज रहित ककड़ी को विकसित किया था। अब यह अब दुनिया भर में मिलती है। भारत में भी इसकी खेती की शुरूआत हो रही है।