सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन 121 देशों में खोलेगा स्टार केंद्र
इंदौर (भाषा)। सौर ऊर्जा क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 1,000 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश जुटाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में जुटे अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) ने अपने 121 सदस्य देशों में एक-एक विशेष केंद्र खोलने का खाका तैयार किया है।
ये केंद्र तकनीकी और संसाधनों के भरपूर दोहन के जरिये सौर ऊर्जा क्षेत्र के टिकाऊ विस्तार में इस अन्तर सरकारी संगठन के सदस्य देशों की मदद करेंगे। आईएसए के अंतरिम महानिदेशक उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया, "कई देशों को चिंताएं होती हैं कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले मुल्कों की कम्पनियां उनके वहां सौर परियोजनाएं लगाकर चली जायेंगी और कुछ बरसों बाद उन्हें इनके संचालन में दिक्कत होगी। इन चिंताओं के समाधान के लिये हमने अपने 121 सदस्य देशों में विशेष केंद्र खोलने की योजना बनायी है।"
त्रिपाठी ने बताया कि इन केंद्रों को स्टार (सोलर ऐप्लिकेशंस टेक्नोलॉजी एन्ड रिसोर्स सेंटर) केंद्र नाम दिया गया है। ये केंद्र स्थानीय स्तर पर उपकरणों के विनिर्माण, परीक्षण, रख-रखाव और गुणवत्ता नियंत्रण सुनश्विति करने में आईएसए के सदस्य देशों की मदद करेंगे, ताकि उनकी सौर ऊर्जा परियोजनाएं लम्बे समय तक सुचारू रूप से चल सकें।
उन्होंने बताया कि आईएसए के प्रस्तावित 121 विशेष केंद्रों में से 10 इकाइयों को वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र का दर्जा दिया जायेगा। हर वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र 10 से 12 देशों के विशेष केंद्रों के काम-काज पर नजर रखेगा और क्षमता निर्माण में उनकी मदद करेगा। इसके साथ ही, सार्वजानिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के आधार पर नयी सौर ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने की संभावनाएं तलाशेगा।
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सौर ऊर्जा क्षेत्र के श्रेष्ठ मॉडलों को दुनिया भर में अपनाये जाने की जरूरत पर जोर देते हुए त्रिपाठी ने बताया, "बांग्लादेश के एक क्षेत्र में सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पम्पों के संचालन का जम्मिा युवाओं को ही दिया जाता है। युवा उद्यमी बैंकों से कर्ज लेकर ये पम्प खरीदते हैं और किसानों को उनके खेतों की सिंचाई की आवश्यकता का पानी बेचते हैं।"
उन्होंने कहा, "हम एक टीम बांग्लादेश से युगांडा भेज रहे हैं। युगांडा में सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पम्पों की खासी जरूरत है। अगर युगांडा में सोलर पम्पों के संचालन के बांग्लादेश मॉडल को अपनाया जाता है, तो वहां के लोगों को काफी फायदा होगा।"
त्रिपाठी ने सुझाया कि इस बांग्लादेश मॉडल को अपनाकर भारत में भी सिंचाई क्षेत्र में डीजल पम्पों पर निर्भरता कम की जा सकती है और खासकर महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सकता है। सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के प्रचार-प्रसार के लिये काम करने वाले आईएसए का मुख्यालय भारत के गुरुग्राम में है। यह उन देशों का संधि आधारित अंतर सरकारी संगठन है, जो कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पूर्णतः अथवा अंशतः पड़ते हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 मार्च को इस संगठन के संस्थापन सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए देश के कुल ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में सौरबिजली का हिस्सा बढ़ाने पर जोर दिया था।