लखनऊ। फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग, नोबल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई और दुनिया के सबसे तेज तैराक माइकल फेल्पस के बीच क्या समानताएं हैं? इन सभी को फोर्ब्स मैग्जीन ने सालाना 30 अंडर-30 की लिस्ट में शामिल किया है। इस लिस्ट में दुनिया भर के युवा उद्यमियों, खोजकर्ताओं और बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाले युवाओं को शामिल किया जाता है। इसी लिस्ट में दिल्ली के एक युवा तीर्थक साहा का भी नाम शामिल है।
दिल्ली के इस 25 वर्षीय युवा ने इस प्रतिष्ठित मैगजीन में नाम दर्ज कर अपने परिवार सहित देश का नाम रोशन किया है।15,000 नॉमिनेशन के बीच तीर्थक साहा का चुना जाना काफी बड़ी उपलब्धि है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नासा के लिए काम कर चुके इस युवा को कभी दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन तक नहीं मिला था।
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शुरुआती जीवन
तीर्थक के पिता सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं और उसकी मां पोस्टल डिपार्टमेंट में काम करती हैं।दिल्ली के द्वारका में रहने वाले तीर्थक साहा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट कोलंबिया स्कूल से की उसके बाद उन्होंने मणिपाल कॉलेज, कर्नाटक से ग्रैजुएशन किया और उसके बाद 2013 में वे अमेरिका चले गए। उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष रिसर्च एजेंसी नासा के साथ काम किया। उनहोंने नासा के लिए मिनि सैटेलाइट के लिए सोलर पैनल मॉड्युलर बनाने पर काम भी किया।
किसलिए चुना गया उन्हें फोर्ब्स के लिए
फोर्ब्स अंडर 30 के सर्वोच्च 30 में अपना नाम दर्ज करवाने वाले 25 वर्षीय तीर्थक फिलहाल अमेरिका के इंडियाना में अमेरिकन इलेक्ट्रिक पावर(एईपी) नामक कंपनी के लिए काम करते हैं।यह कंपनी अमेरिका के 11 राज्यों के 54 लाख लोगों को बिजली उपलब्ध करवाती है। तीर्थक का मन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बजाय एस्ट्रोफिजिक्स पढ़ने का था ,लेकिन 12वीं में कम नंबर आने की वजह से उन्हें डीयू में एडमिशन नहीं मिल पाया था।
तीर्थक को फोर्ब्स ने ऊर्जा श्रेणी के तहत चुना है। पावर जेनेरेशन पर रिसर्च के काम ने उन्हें इस विश्व प्रसिद्घ पत्रिका में जगह दिलाई है। इस उपलब्धि पर तीर्थक कहते हैं , “यह अद्भुत और गौरवान्वित करने वाली बात है। 30 वर्ष से भी कम उम्र में यह सम्मान पाना एक बड़ी उपलब्धि है।”
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Incredibly honored and immensely happy to announce that I have been awarded a spot on the 2018 @Forbes #30Under30 list in the Energy category!
— Tirthak Saha (@TirthakSaha) November 14, 2017
A big congratulations to all my fellow Under 30 peers! pic.twitter.com/ugc13aDXLm
सपने जैसा है यहां चुने जाना
साहा को यकीन भी नहीं था कि वह कभी इस मुकाम तक पहुंचेंगे। दरअसल वे एस्ट्रोफिजिक्स यानी कि खगोल भौतिकी के बारे में पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन डीयू की कट ऑफ काफी ऊंची होने की वजह से उन्हें किसी भी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल सका। इसके पीछे वजह ये थी कि स्कूल में उनके नंबर इतने नहीं आ पाए थे कि दिल्ली विश्वविद्यालय उन्हें दाखिला देता। वे बताते हैं कि दसवीं से ही उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिला और यही वजह थी कि 12वीं की परीक्षा देने के बाद भी वे संतुष्ट नहीं थे।
उन्होंने आईआईटी की तैयारी करने के बारे में भी सोचा, लेकिन फिर लगा कि अगर यहां भी सेलेक्शन नहीं हुआ तो एक साल और उन्हें बैठना पड़ेगा।इसलिए उन्होंने मणिपाल यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल सेंटर में एप्लाइड साइंस में दाखिला ले लिया। इसके बाद उन्हें फिलाडेल्फिया की ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला जहां से उन्होंने बैचलर ऑफ साइंस किया।
तीर्थक बताते हैं, “मेरे लिए यह एक लाइफटाइम अचीवमेंट जैसा है।”
तीर्थक अभी और कई सारे प्रॉजेक्ट्स के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें आने वाले समय में ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को भी कम किया जा सकेगा।