भारत में भूख की स्थिति बेहद गंभीर, 119 देशों में से 103वें स्थान पर
दुनियाभर में जहां करीब 50 लाख बच्चे कुपोषण के चलते जान गंवाते हैं, वहीं गरीब देशों में 40 प्रतिशत बच्चे कमजोर शरीर और दिमाग के साथ बड़े होते हैं।
नई दिल्ली। वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दुनिया के 119 देशों में भारत 103वें स्थान पर रहा है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। वेल्थहंगरहिल्फे एंड कन्सर्न वल्डवाइड द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है जहां ''भुखमरी काफी गंभीर स्तर पर है।'' इसमें कहा गया है कि 2017 में इस सूचकांक में भारत का स्थान 100वां था लेकिन इस साल की रैंक तुलनायोग्य नहीं है।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक लगातार 13वें साल तय किया गया है। इसमें देशों को चार प्रमुख संकेतकों के आधार पर रैंकिग दी जाती है, अल्पपोषण, बाल मृत्यू, पांच साल तक के कमजोर बच्चे और बच्चों का अवरुद्ध शारीरिक विकास। इस सूचकांक में भारत का स्थान अपने कई पड़ोसी देशों से भी नीचे है। भुखमरी सूचकांक में जहां चीन 25वें स्थान पर है वहीं नेपाल 72वें, म्यांमार 68वें, श्रीलंका 67वें और बांग्लादेश 86वें स्थान पर रहा है। पाकिस्तान को इस सूचकांक में 106वां स्थान मिला है।
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रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि भुखमरी का स्तर क्षेत्रों के हिसाब से अलग अलग है। इसमें कहा गया है कि इस साल के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दक्षिण एशिया और सहारा दक्षिण अफ्रीका में भुखमरी का गंभीर स्तर दिखाया गया है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) वैश्विक, क्षेत्रीय, और राष्ट्रीय स्तर पर भुखमरी का आंकलन करता है। भूख से लड़ने में हुई प्रगति और समस्याओं को लेकर हर साल इसकी गणना की जाती है। जीएचआई को भूख के खिलाफ संघर्ष की जागरूकता और समझ को बढ़ाने, देशों के बीच भूख के स्तर की तुलना करने के लिए एक तरीका प्रदान करने और उस जगह पर लोगों का ध्यान खींचना जहां पर भारी भुखमरी है, के लिए डिजाइन किया गया है।
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स में ये देखा जाता है कि देश की कितनी जनसंख्या को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल रहा है। इसमें ये भी देखा जाता है कि पांच साल के नीचे के कितने बच्चों की लंबाई और वजन उनके उम्र के हिसाब से कम है। इसके साथ ही इसमें बाल मृत्यु दर की गणना को भी शामिल किया जाता है।
दुनियाभर में जहां करीब 50 लाख बच्चे कुपोषण के चलते जान गंवाते हैं, वहीं गरीब देशों में 40 प्रतिशत बच्चे कमजोर शरीर और दिमाग के साथ बड़े होते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 85 करोड़ 30 लाख लोग भुखमरी का शिकार हैं।
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अकेले भारत में भूखे लोगों की तादाद लगभग 20 करोड़ से ज्यादा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन यानी एफएओ की एक रिपोर्ट बताती है कि रोजाना भारतीय 244 करोड़ रुपए यानी पूरे साल में करीब 89060 करोड़ रुपये का भोजन बर्बाद कर देते हैं।
इतनी राशि से 20 करोड़ से कहीं ज्यादा पेट भरे जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए न सामाजिक चेतना जगाई जा रही है और न ही कोई सरकारी कार्यक्रम या योजना है।
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