तीन तलाक : ‘निकाह के वक्त दूल्हों को तीन तलाक का रास्ता नहीं अपनाने की सलाह देंगे काजी’ 

Update: 2017-05-22 21:43 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल किया। इसमें बोर्ड ने कहा है कि वो काजियों से कहेगा कि वो दूल्हों को तीन तलाक का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दें। बता दें कि तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली गई थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले AIMPLB ने कोर्ट से कहा था कि वो निकाहनामे में महिलाओं की राय जानने के लिए काजियों को एडवायजरी जारी करेगा।

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एफिडेविट में लिखा, "हम काजियों को एडवायजरी जारी करेंगे, जिसमें उनसे कहा गया है कि वो दूल्हों को तीन तलाक का सहारा नहीं लेने की सलाह दें। शरियत और निकाहनामे में तीन तलाक एक गलत प्रथा है, ऐसे किसी प्रोविजन की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।"

गुरुवार को कोर्ट में किसने क्या कहा

कपिल सिब्बल, AIMPLB के वकील: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड काजियों को एडवायजरी जारी करेगा कि तीन तलाक पर न सिर्फ महिलाओं का मशविरा लिया जाए, बल्कि उसे निकाहनामे में भी शामिल किया जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट को तीन तलाक की वैलिडिटी जानने के मसले में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि किसी कम्युनिटी के रीति-रिवाजों की वैलिडिटी बहुत नाजुक मसला है।

सुप्रीम कोर्ट: कोई चीज मजहब के हिसाब से गुनाह है तो वह किसी कम्युनिटी की रिवाज का हिस्सा कैसे बन सकती है?

अमित चड्ढा, मेन पिटीशनर शायरा बानो के वकील: इस्लाम ने कभी औरत और मर्द में भेदभाव नहीं किया। मेरी राय में तीन तलाक एक पाप है। यह मेरे और मुझे बनाने वाले (ईश्वर) के बीच में रुकावट है।

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