एक अप्रैल से मनरेगा की मजदूरी एक रुपए से 15 रुपए तक बढ़ी, इन राज्यों में नहीं हुई बढ़ोतरी

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चुनाव आयोग से मंजूरी लेकर मनरेगा मजदूरों की मजदूरी बढ़ा दी है लेकिन क्या ग्रामीण मजदूरों के परिवार का खर्च इससे चल पाता है।

Update: 2019-03-30 12:54 GMT

लखनऊ। मनरेगा मजदूरों के लिए ये खबर थोड़ा राहत भरी हो सकती है, ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार ने आचार संहिता लागू होने के दौरान चुनाव आयोग से मंजूरी लेकर मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में वृद्धि कर दी है। बढ़ी हुई मजदूरी दरें 1 अप्रैल 2019 से लागू होंगी। मनरेगा मजदूरों की मजदूरी राज्यवार एक रूपये से लेकर अधिकतम पंद्रह रूपये तक बढ़ाई गयी है। वही गोवा,कर्णाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, अंडमान एंड निकोबार और लक्ष्यदीप की मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी हैं।
 

जानिये किस राज्य में कितनी बढ़ी मनरेगा मजदूरों की मजदूरी 

आंध्र प्रदेश -                                                             6 रूपये 

अरुणाचल प्रदेश -                                                   15 रूपये 

असम -                                                                  4 रूपये

बिहार -                                                                  3 रूपये

छत्तीसगढ़ -                                                            2 रूपये

गुजरात -                                                              3  रूपये

हरियाणा-                                                             3  रूपये

हिमाचल -                                                             1 रूपये

जम्बू -कश्मीर -                                                     2 रूपये   

झारखण्ड -                                                           3 रूपये

मध्य प्रदेश -                                                        2 रूपये

महाराष्ट्र -                                                             3 रूपये

मणिपुर  -                                                         10 रूपये

मेघालय -                                                           6 रूपये

मिजोरम -                                                          7 रूपये

नागालैंड  -                                                        15 रूपये

ओडिसा -                                                            6 रूपये

राजस्थान -                                                        7 रूपये 

सिक्किम -                                                       15 रूपये 

तमिलमनाडु -                                                    5 रूपये

तेलंगाना -                                                         6 रूपये

त्रिपुरा -                                                          15  रूपये

उत्तर प्रदेश -                                                      7 रूपये

उत्तराखंड -                                                        7 रूपये 

दादर नगर हवेली -                                           4 रूपये 

दमन एंड दीव -                                                5 रूपये

पांडुचेरी -                                                        5 रूपये


बाजार की दरों से कम हैं मनरेगा मजदूरी 

आल असम मनरेगा कर्मचारी उन्न्यन परिषद् के स्टेट एग्जिक्यूटिव कुकिल बरूह कहते है कि "असम के गावों, कस्बों में भी मजदूरी ढाई सौ रूपये प्रतिदिन से लेकर तीन सौ रूपये तक मिल रही है। पूरा दिन काम करने के बाद शाम को मजदूरी भी नकद मिल जाती है, बहुत से गावों में स्थिति यह है कि लोग मजदूरी के सहारे ही परिवार का पोषण कर रहे है जिस दिन मजदूरी न मिले तो घर में खाने के दिक्कत हो जाती है। इसीलिए गाँव के ज्यादातर मजदूर काम की तलाश में गाँव से दूर कस्बों तक चले जाते है और मनरेगा में काम करने से कतराते हैं वजह यह है कि यहाँ एक तो मजदूरी कम है दूसरे 6 -6 महीनें तक मजदूरी नहीं मिलती, ये जो ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 4 रुपये बढ़ोत्तरी की गयी है इससे मजदूरों का कुछ भला नहीं होने वाला हैं

उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ रहा है पलायन

उत्तराखंड ग्राम रोजगार सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र कुमार नौटियाल बताते है कि "उत्तराखंड में औसत मजदूरी पांच सौ रूपये है और मिस्त्री की मजदूरी सात सौ रूपये है। गाँव में रोजगार न होने के चलते पिछले 10 वर्षो में उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र से पलायन ऐसे बढ़ा है की गाँव के गाँव खाली हो गये है। अधिकांश गाँव में सिर्फ निशक्त, बुजुर्ग और महिलाये बची है। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा मजदूरों की बहुत किल्लत है इतनी कम कीमत पर कोई मजदूर काम नहीं करना चाहता केंद्र सरकार को उत्तराखंड के ग्रामीण मजदूरों को विशेष पैकेज देना चाहिए ताकि योजना की उपयोगिता और प्रासंगिकता बनी रहे।

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काम की तलाश में देश के हर राज्य में जाते है हमारे भाई बहन 

बिहार पंचायत रोजगार सेवक संघ के अध्यक्ष व अखिल भारतीय मनरेगा कर्मचारी संघ के राष्ट्रीय महासचिव चिदानंद कश्यप बताते हैं कि काम की तलाश से हमारे भाई- बहन के सुदूर राज्यों तक चलें जाते है वजह यहां रोजगार नहीं है। मनरेगा में अभी तक मजदूरी 168 रूपये है जिसमे सरकार 3 रूपये की वृद्धि की है जबकि पटना सहित बिहार के अन्य जिलों में गाँव में मजदूरी दर 3 सौ से 4 सौ के बीच है और वही मजदूर अगर शहर में काम करने चला जाता है तो उसे एक दिन की दिहाड़ी 5 सौ रूपये तक भी मिल जाती है। मजदूरी के सरकारी रेट पर गाँव में मजदूरों की उपलब्धता कैसे होती है इस प्रश्न पर चिदानंद कश्यप बताते है कि ये सरकार और नीति निर्धारको को समझना चाहिए की जमीन पर कैसे काम हो रहा है।

आप बताइए क्या एक सौ बानवे रूपये में एक औसत परिवार एक दिन भोजन कर सकता है 

अरुणाचल प्रदेश में पिछले वर्ष की अपेक्षा ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 15 रूपये की वृद्धि की है एक अप्रैल से अरुणाचल में मनरेगा मजदूरी 192 रूपये हो जाएगी। अरुणाचल में बाजार मजदूरी दर की बात करने पर आल अरुणाचल प्रदेश मनरेगा एम्प्लोयी एसोसिएशन के अध्यक्ष जामुनदुई बताते है कि " अरुणाचल में मजदूरी का रेट चार सौ से पांच सौ रूपये के बीच का है गांवों में रोजगार सेवकों को मजदूर ढूढने में काफी दिक्कतें आती हैं। व्यवहारिक रूप से इस मजदूरी से मजदूर का भला नहीं हो सकता क्या 192 रूपये में अरुणाचल प्रदेश के किसी भी कोने में एक औसत परिवार के एक दिन की रोटी की व्यवस्था हो सकती हैं। 

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हरियाणा में संतोषजनक है मनरेगा मजदूरी पर रोजगार सेवक परेशान ..

हरियाणा के सिरसा जिलें के रोजगार सेवक बक्शीश सिंह बताते है की हमारे यहाँ पर बाजार मजदूरी दर तीन सौ से साढ़े तीन सौ रूपये के बीच है हरियाणा में मनरेगा मजदूर आसानी से मिल जाते हैं। मेरे पास इस समय 500 जॉब कार्ड धारक है और वो काम कर रहे हैं लेकिन यहाँ मनरेगा के रोजगार सेवकों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है एक तो जो मानदेय मिलता है उससे घर का खर्च चलाना मुश्किल है और वो भी मिलने में कभी-कभी साल भर का समय लग जाता है। 

  

 

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