चीन का भारत-बांग्लादेश को आश्वासन, उसके बांध पानी के संग्रह करने के लिए नहीं बनाए गए 

Update: 2017-10-31 16:45 GMT
चीन के विदेश मंत्री की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग।

बीजिंग (भाषा)। चीन ने उस मीडिया रिपोर्ट को झूठी और गलत बताते हुए आज खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बनायी जा रही है।

हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने कल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीनी इंजीनियर ऐसी तकनीकों का परीक्षण कर रहे है जिनका इस्तेमाल विश्व की सबसे लम्बी सुरंग बनाने में किया जा सकता है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान इस रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा,यह असत्य है, यह झूठी रिपोर्ट है। उन्होंने कहा कि चीन सीमा पार नदी सहयोग को महत्व देता रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक क्षेत्र, सूखी पट्टियों और रेगिस्तानी भूमि को पानी उपलब्ध कराएगी।

रिपोर्ट में कहा गया था कि दक्षिणी तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग के ताकलामाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जाएगा। चीन के शिनजियांग प्रांत में पानी की भारी कमी रहती है।

भारत में इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। भारत ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की ओर से कई बांध बनाए जाने को लेकर बीजिंग को पहले ही अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है, चीन में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग सांगपो के नाम से जाना जाता है। तिब्बत से निकलने वाली ये नदी भारत के पूर्वोत्तर से होते हुए बांग्लादेश में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। अगर चीन ये सुरंग बनाता है तो ब्रह्मपुत्र के बहाव में बदलाव आएगा जिसका नतीजा इस पर निर्भर बहुत से इलाकों में जल संकट हो सकता है।

चीनी अखबार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार एक चीनी विशेषज्ञ ने अनुमान जताया है कि इस सुरंग को बनाने में 15 करोड़ डॉलर प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा। यानी पूरी सुरंग बनाने में करीब 150 अरब डॉलर खर्च होंगे। 

चीन ने भारत और बंगलादेश को आश्वस्त किया है कि उसके बांध पानी के संग्रह करने के लिए नहीं बनाए गए है।

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