भारतीय हर साल खरीदते हैं 1,000 टन सोना, तो सरकार चिंतित क्यों?

Update: 2016-03-27 05:30 GMT
Gaon Connection

लखनऊ। सोना खरीदने के मामले में भारत दुनिया का नंबर-1 देश है। दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा खपत भारत में होती है। बिज़नेस पत्रिका इकोनॉमिस्ट के मुताबिक़ भारतीय सालाना 1,000 टन सोने की खरीद करते हैं। फिलहाल भारतीयों के पास 22000 टन सोना है जिसकी कीमत 65 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।

केरल के पद्मनाभ मंदिर के पास 1000 किलो सोना है। मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के पास 158 किलो सोना है। शिर्डी के साईबाबा मंदिर के पास करीब 200 किलो सोना है। गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पास 35 किलो से ज्यादा सोना है।

दुनिया में सोने की खपत वाला भारत सबसे बड़ा देश है। दुनिया में सोने की खदानों का अमूमन 33 फीसदी या 700 टन सोना भारत में खपा लिया जाता है। ये भारत को दुनिया का सबसे बड़ा सोने का आयातक बनाता है।

दुनिया में पैदा होने वाले सोने का अमूमन 52 फीसदी गहने बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। 12 फीसदी का उपयोग उद्योगों में होता है, 18 फीसदी निवेश होल्डिंग (गोल्ड ईटीएफ) में उपयोग होता है और बचा हुआ करीब 18 फीसदी सेंट्रल बैंकों के पास है।

भारतीय क्यों खरीदते हैं इतने गहने?

इसके पीछे का मूल कारण भारतीय पंरपराओँ में छुपा हुआ है और खासकर शादी में। हमारी परंपराओं में बहुत से बदलाव आए हैं लेकिन शादी विवाह के मौके पर सोना खरीदने की परंपरा में अभी भी बहुत बदलाव नहीं आया है। हमारे देश में हर साल करीब 1000 टन सोने की मांग देखी जाती है।

तो इसमें परेशानी क्या है?

सरकार परेशान क्यों होती है जब हम सोने को खरीदकर पैसा बचा रहे हैं या पैसा बना रहे हैं। अकेले स्तर पर सोना खरीदना काफी फायदेमंद हो सकता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ये चिंताजनक बात हो सकती है। सोने के कुल आयात में 12 फीसदी हिस्सा है और इसका नंबर केवल क्रूड और कैपिटल गुड्स के बाद आता है। इसमें मुख्य परेशानी फॉरेक्स की है। जब हम विदेश से सोना खरीदते हैं तो हमें विदेशी मुद्रा में भुगतान करना होता है और हमें करीब 6000 करोड़ डॉलर की जरूरत पड़ती है। इसका सीधा नकारात्मक असर रुपये पर होता है इसके बाद खासतौर पर पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ते हैं।

अर्थशास्त्री अजीत रानाडे के मुताबिक़ सोने का देश की अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा अच्छा ना होने का एक बड़ा कारण है कि ये अनुत्पादक प्रकृति का है। सोना कुछ करता नहीं है लेकिन घरों और बैंकों के लॉकर में बेकार पड़ा रहता है। इसकी तुलना में अन्य वित्तीय साधन जैसे फिक्सड डिपॉजिट, निवेश पॉलिसियां, शेयर, बॉन्ड आदि सरकार और कॉर्पोरेट संस्थानों के लिए उत्पादक फंड पैदा करते हैं जो अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर डालता है।

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