ब्लॉक स्तर पर भी मॉनसून की सटीक भविष्यवाणी करेगा ये हवाइजहाज

Update: 2016-07-11 05:30 GMT
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लखनऊ। सूखे, बाढ़ और ओलावृष्टी से परेशान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड और गुजरात के किसानों के लिए राहत देने वाली ख़बर है। मॉनसून और सूखे की भविष्यवाणी को और सटीक बनाने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार के साथ एक बड़ा करार किया है। इसके तहत भारत सरकार ब्रिटेन से एटमॉस्फेरिक रिसर्च एयरक्राफ्ट खरीदेगी, जिसकी मदद से ना केवल एक राज्य विशेष बल्कि एक छोटे से ब्लॉक के लिए भी बारिश की बेहद सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा, ''ब्रिटेन के साथ हुए समझौते का भारत को बहुत फायदा होगा। मौसम विभाग की लाख कोशिशों के बावजूद हम काफी हद तक मॉनसून की सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन ब्रिटेन की टेक्नोलॉजी भारत को मिलने के बाद हम मॉनसून की सबसे सटीक और सबसे पुख्ता जानकारी किसानों को दे पाएंगे।''

क्यों ख़ास है ब्रिटेन का ये विमान ?

एक विमान की ख़रीदारी पर कुल 240 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा। ब्रिटेन 2019 तक इस विमान की डिलीवरी भारत को देगा। इस विमान से दक्षिण एशिया के मॉनसून और उसकी गतिविधि पर बेहतर तरीक़े से नज़र रखी जा सकेगी। यूके द्वारा विकसित किए गए इस हवाईजहाज की मदद से भारत कोशिश करेगा कि मॉनसून के समय और उसकी लोकेशन का ठीक तरीके से पता लगाया जा सके। जहाज़ के ज़रिए साफ हवा और बादलों की स्थिति का भी पता लगाया जा सकेगा। साथ ही अनेक मौसमी रासायनिक बदलावों को परखने में भी ये हवाईजहाज बेहद कारगर साबित होगा। ये हवाई जहाज़ ज़मीन से 500 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।

विमान में लगे ख़ास यंत्र

  • बाउंड्री लेयर फ्लक्स टावर

रडार

रेडियोसोंडे एसेंट

माइक्रोवेव रेडियोमीटर

  • विमान की ख़ासियत 

मॉडल टाइप- BAe146-301

पायलट क्रू संख्या-3

अधिकतम क्रू संख्या- 18

वज़न क्षमता-4,000 किलोग्राम

अधिकतम उड़ान ऊंचाई- 10.67 किलोमीटर

न्यूनतम उड़ान ऊंचाई-500 फीट

रेंज- 1,800 नॉटिकल माइल

5 घंटे तक लगातार उड़ सकता है

  • ब्लॉक स्तर पर होगी बारिश की निगरानी

पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा, ''ब्रिटेन से मिलने वाले एटमॉस्फेरिक रिसर्च एयरक्राफ्ट से देश के बड़े इलाकों ही नहीं बल्कि ज़िलेवार और ब्लॉक स्तर पर भी मॉनसून की जुड़ी जानकारी मिल पाएगी। इस एयरक्राफ्ट की मदद से मिट्टी की गुणवत्ता और बीजों के इस्तेमाल के बारे में भी किसानों को जानकारी मुहैया कराई जा सकेगी।''

  • नेशनल मॉनसून मिशन पर 400 करोड़ का खर्चा

डॉ हर्षवर्धन ने कहा, ''एटमॉस्फेरिक रिसर्च एयरक्राफ्ट के लिए ब्रिटेन के साथ हुआ ये समझौता नेशनल मॉनसून मिशन के तहत किया गया है, जिसपर बीते 5 सालों में अब तक 400 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस मिशन के तहत देश के करीब सवा करोड़ किसानों को एसएमएस के ज़रिए खेती और मौसम से जुड़ी जानकारी मुहैया कराई जा रही है जिसकी वजह से करीब 42,000 करोड़ रुपये की फसलों को नुकसान से बचाया जा सका।''

  • तीन स्तरों पर हो रही है मॉनसून की निगरानी

पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार तीन स्तरों पर मॉनसून की निगरानी कर रही है ताकि किसानों को बारिश की सबसे सही जानकारी मुहैया कराई जा सके। पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा, ''समंदर में सिंधू साधना रिसर्च शिप, ज़मीन पर मौसम विभाग के अर्थ स्टेशन और हवा में एटमॉस्फेरिक रिसर्च एयरक्राफ्ट बारिश से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराएंगे।''

  • सुनामी की भविष्यवाणी और सटीक हो पाएगी

डॉ हर्षवर्द्धन ने बताया, ''इस विमान से मौसम का मिजाज जानने का अभियान आठ जून को शुरु किया गया था जो इस महीने के अंत तक चलेगा। इस परियोजना पर आईआईटी-कानपुर, आईआईटी अहमदाबाद समेत देश के अनेक प्रमुख तकनीकी संस्थानों के वैज्ञानिक और ब्रिटेन के वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे हैं। सुनामी के अनुमान के मामले पर भारत ने जो योग्यता विकसित की है वो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की है। भारत समुद्र से घिरे तथा अन्य तटीय देशों को सुनामी के बारे में अनेक सूचनाएं साझा करता है।''

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