पेरिस (एएफपी)। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रबड़ की गोलियों से घायल 100 लोगों में से करीब तीन लोगों की मौत हो जाती है। भारत समेत नौ देशों के आंकड़ों के आधार पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
इस अध्ययन में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई और विकल्प इस्तेमाल करने की अपील की गई है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले की रोहिणी हार समेत अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने वर्ष 1990 से वर्ष 2017 के बीच भारत, इस्राइल और फलस्तीन के क्षेत्रों, अमेरिका, उत्तरी आयरलैंड, स्विट्जरलैंड और नेपाल में इस्तेमाल की गईं रबड़ की गोलियों के कारण घायल, शारीरिक रुप से अक्षम और मारे गए लोगों की संख्या के बारे में प्रकाशित 26 वैज्ञानिक रिपोर्टों की समीक्षा की। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इन वर्षों में रबड़ की गोलियों से कुल 1984 घायल हुए, जिनमें से 53 (तीन फीसदी) लोगों की मौत हो गई।
रबड़ की गोलियां से करीब 15.5 फीसदी लोग शारीरिक रूप से अक्षम हुए
अनुसंधानकर्ताओं ने पत्रिका बीएमजे ओपन में लिखा, रबड़ की गोलियां लगने की वजह से करीब 300 (15.5 फीसदी) लोग शारीरिक रूप से अक्षम हो गए। इन गोलियों का इस्तेमाल लोगों को जान से मारने के लिए नहीं, बल्कि दंगे या भीड़ को नियंत्रित करने के मकसद से लोगों को तितर बितर करने के लिए किया जाता है, लेकिन इनकी वजह से बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं।
इस नए अध्ययन का मकसद पीड़ित लोगों की संख्या का पता करना है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, हमने पाया कि रबड़ की गोलियों की वजह से पिछले 27 वर्षों में उल्लेखनीय संख्या में लोग घायल हुए हैं और उनकी मौत हुई है।
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उन्होंने कहा, लोगों के अनावश्यक रुप से घायल होने और उनकी मौत को रोकने के लिए भीड़ नियंत्रण करने वाले हथियारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देश तय किए जाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आंसू गैस और पानी की बौछार जैसे उपायों से भी बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं।
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