वर्ष 2055-2060 के दौरान हिंदुओं की संख्या में आएगी भारी गिरावट : प्यू रिसर्च सेंटर

Update: 2017-04-06 19:37 GMT
प्यू रिसर्च सेंटर।

वाशिंगटन (भाषा)। एक नये सर्वेक्षण में खुलासा किया गया है कि भारत में घटती प्रजनन दर के चलते वर्ष 2055-60 के दौरान हिंदुओं की जनसंख्या में भारी गिरावट आएगी। दुनिया के 94 फीसदी हिंदू भारत में रहते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर का अध्ययन यह भी कहता है कि उसके अगले दो दशक के अंदर दुनियाभर में मुस्लिम महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या नवजात ईसाई शिशुओं से ज्यादा बढने की संभावना है। इस तरह 2075 तक इस्लाम दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बन जाएगा।

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वर्ष 2015 के उपरांत ईसाई और मुस्लिम महिलाओंं की संख्या लगातार बढ़ रही है, यह रुझान 2060 के बाद भी जारी रहेगी। मुस्लिम शिशुओं की संख्या इतनी तेजी से बढ सकती है कि वर्ष 2035 तक उनकी संख्या ईसाई नवजात शिशुओं से भी आगे निकल जाएगी।

हिंदुओं संख्या में गिरावट नाटकीय ढंग से होगा

‘बदलते वैश्विक धार्मिक परिदृश्य' नामक यह अध्ययन कहता है कि ‘‘जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या में गिरावट खासकर हिंदुओं में नाटकीय ढंग से होगा। काफी हद तक भारत में घटती प्रजनन दर के चलते वर्ष 2055-60 के दौरान इस पंथ में जन्म लेने वालों शिशुओं की संख्या 2010-2015 के बीच जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या से 3.3 करोड़ तक कम होगी। फ़िलहाल भारत 2015 तक दुनिया में 94 फीसदी हिंदुओं का आवास स्थल रहा है। '' अध्ययन के अनुसार जनसंख्या वृद्धि के लिहाज से इस्लाम दुनिया में सबसे बड़ा धर्म है। वर्ष 2010-2015 के बीच मुसलमानों की जनसंख्या में 15 करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई।

2010-15 के बीच ईसाई समुदाय में ज्यादा जन्मे शिशु

प्यू में धर्म शोध के निदेशक एलन कूपरमैन ने बताया कि बच्चों की संख्या में बढोत्तरी उम्र एवं प्रजनन दर में क्षेत्रीय रुझानों से संचालित होती है। न्यूयार्क टाईम्स के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘यह वाकई भौगोलिक अध्ययन है।'' वर्ष 2010-15 के दौरान ईसाई महिलाओं ने 22.3 करोड़ शिशुओं को जन्म दिया जो मुस्लिम महिलाओं से जन्में शिशुओं की अपेक्षा करीब एक करोड़ अधिक है। लेकिन प्यू कि रिपोर्ट में 2060 तक इस पैटर्न के पलट जाने का अनुमान व्यक्त किया है।

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