आतंकी संगठनों में लगातार शामिल हो रहे हैं युवा, सुरक्षाबलों के लिए चिंताएं कई गुना बढ़ी  

Update: 2017-04-17 08:59 GMT
कश्मीर की स्थिति चिंताजनक फिर से जनजीवन प्रभावित।   प्रतीकात्मक फोटो

अनंतनाग (भाषा)। कश्मीर में पिछले वर्ष जुलाई में फिर से प्रदर्शन शुरु होने के बाद से आतंकवाद की राह पर चलने वाले स्थानीय युवकों की संख्या में चिंताजनक बढ़ोत्तरी हुई है और सुरक्षा एजेंसी इस आंकड़े को मार्च तक करीब 250 बता रही हैं।

राज्य पुलिस परेशान करने वाली इस प्रवृत्ति पर मौन साधे हुए है और सिर्फ इतना कह रही है कि वे लापता युवकों की रिपोर्ट का आकलन कर रही है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों में मौजूद सूत्रों ने कहा कि विशेषकर दक्षिण कश्मीर में जमीन पर स्थिति चिंताजनक है और जल्द से जल्द कार्रवाई की जरुरत है।

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पिछले साल आठ जुलाई को दक्षिण कश्मीर में एक मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद स्थानीय सदस्यों द्वारा आतंकवादी संगठन में शामिल होने की घटनाएं शुरु हुई थीं।

सुरक्षा एजेंसियों में मौजूद सूत्रों के अनुसार, आज के समय के आतंकवाद और 1990 के दशक के समय के आतंकवाद में अंतर यह है कि आज के समय के आतंकवादियों का वैचारिक जुड़ाव पुराने समय के आतंकी संगठनों के सदस्यों की तुलना में ज्यादा है। सूत्रों ने कहा कि कश्मीर ऐसी प्रवृत्ति का गवाह बन रहा है जहां युवा लड़के इस बात को पूरी तरह से जानते हुए आतंकवाद का रास्ता अपना रहे हैं कि उनके मारे जाने का खतरा है। सूत्रों ने कहा कि जिन इलाकों के युवक लापता बनाए जा रहे हैं उनमें मुख्य रुप से शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और दक्षिण कश्मीर के अवंतीपुरा के कुछ भाग तथा श्रीनगर के खास इलाके शामिल हैं।

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