मेंथा से ज्यादा तेल निकालने के लिए पेराई के दौरान इन 10 बातों का रखें ध्यान

मेंथा जिसे बोलचाल की भाषा में पिपरमेंट या मिंट भी कहा जाता है, के लिए पेराई के दौरान अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो तेल ज्यादा निकलता है। नीचे ऐसी ही 10 बातें बताई गए हैं.. वीडियो भी देखिए

Update: 2018-06-10 04:45 GMT
लखनऊ। मई के आखिरी हफ्ते से लेकर जून-जुलाई तक किसान मेंथा का पेराई (आसवन) करते हैं। मेंथा जिसे आम बोलचाल की भाषा में पिपरमेंट या मिंट भी कहा जाता है, के लिए पेराई के दौरान अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो तेल ज्यादा निकलता है। नीचे 10 वो बातें बताई गए हैं, वैज्ञानिक और कृषि जानकार जिन पर ध्यान देने पर जोर देते हैं। 
पिपरमेंट में तेल पौधे की पत्तियों में होता है, जिसे विशेष आसवन यूनिट यानी पेराई की टंकी में उबाल कर तेल निकाला जाता है। अच्छे उत्पादन यानि फसल से पूरा तेल निकले इसके लिए जरुरी फसल की कटाई 90 दिनों के पहले न की जाए। कटाई के एक हफ्ते पहले से सिंचाई न की गई हो। इसके साथ काटने के बाद मेंथा का ढेर न लगाया जाए। 
और आखिर में सबसे जरुरी बात कि आसवन टंकी अच्छी हो। 
मेंथा की कई उन्नत किस्स विकसित करने वाली सरकारी संस्था सीमैप के वैज्ञानिक किसानों को समय-समय पर सलाह देते रहते हैं। सीमैप में आसवन विधियों के जानकार वरिष्ठ प्रमुख वैज्ञानिक इंजीनियर सुदीप टंडन ने बताया, "किसान हजारों रुपए लगातार मेंथा उगाता है, इसलिए अच्छे मुनाफे के लिए जरुरी है उसका आसवन यानि पेराई ठीक से हो। अगर सीमैप की विकसित टंकी या आधुनिक पेराई संयंत्र आपके पास है तो कम से कम 10 से 20 फीसदी तेल ज्यादा निकल सकता है। क्योंकि सामान्य टंकियों में कंडेंसर अच्छा न होने और टंकी की बनावट के चलते नुकसान हो जाता है।" 


सुदीप टंडन बताते हैं, टंकी का साफ होना बहुत जरुरी है। उसे निरमा आदि से बिल्कुल न धुले, टंकी के अंदर किसी तरह का ग्रीस या मोबिल न लगाएं, अगर पहले से रखा है तो उसे गर्म पानी की भाप से ही साफ रखें,वर्ना तेल खराब हो गया तो उसका अच्छा रेट नहीं मिलेगा। दूसरा अगर एक ही टंकी में मेंथा, लेमनग्रास और खस आदि का तेल निकालते हैं तो भी टंकी को अच्छे से साफ करें।'
आसवन टंकी में तीन प्रमुख भाग होते हैं, उबालने वाली बड़ी टंकी, जिसमें पिपरमेंट आदि भरकर नीचे से आग जलाते हैं, दूसरा कंडेसर, जिसमें भार बनकर पानी तेल पहुंचते हैं, तीसरा सपरेटर यानि वो छोटा सा यंत्र जहां पानी और तेल अलग-अलग हो जाते हैं।
इंजीनियर सुदीप टंडन पेराई की बारीरियां समझाते हैं, अच्छा हो कि पूरी टंकी स्टील की हो। वर्ना सपरेटन और कंडेयर तो हर हाल में होना चाहिए। कंडेंसर का पानी जल्दी –जल्दी बदलते रहना चाहिए, ताकि तेल और पानी अच्छे से अलग हो सकें। अगर सपरेटर में पहुंचने वाला तेल गर्म है तो समझिए भाप में तेल उड़ रहा है।

नीचे दिए गए 10 जरुरी प्वाइंट्स पर ध्यान दें
1.मेंथा की फसल को 90 दिनों के पहले न कांटे
2.कटाई के बाद मेंथा का ढेर न लगाएं, करीब एक दिन सूखने के बाद टंकी में भर दें।
3.टंकी पूरी तरह साफ-सुथरी, लेकिन उसे निरमा आदि से बिल्कुल न धुले।
4.हौदी में लगे कंडेंसर का पानी लगातार बदलते रहें, अगर पानी ज्यादा गर्म हुआ तो तेल का नुकसान होगा।
5.सपरेटर और कंडेंसर अगर स्टेनलेस स्टील के हैं तो तेल की गुणवत्ता अच्छी होगी।
6.भट्टी के नीचे की राख समय-समय पर हटाते रहें ताकि आंच पूरी तरह टंकी में लगे
7.पिपरमेंट या लेमनग्रास को एक दिन तक सुखाकर उसे आसवन टंकी पर ले जाएँ
8.जेरेनियम और गुलाब के आसवन के लिए ज्यादा विलम्ब नहीं करना चाहिए।
9. टंकी में फसल को अच्छी तरीके से दबाकर भरें, कोई खाली स्थान न रहने पाए।
10. पेराई होने के बाद टंकी में कभी ग्रीस, पेंट या कोई मेबिल न लगाए।

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