जिंदगी विद ऋचा : अरबाज़ की परवाज़

Update: 2018-04-08 11:06 GMT
पढ़िए और देखिए गांव कनेक्शन पर कुछ ख़ास...

देश की जानी-मानी पत्रकार-एंकर ऋचा अनिरुद्ध इस वक्त खास सीरीज ‘जिंदगी विद ऋचा कर रही हैं, ये कहानियां कुछ हटकर कुछ प्रेरणादायक और कुछ आपको झकझोरने वाली... अब ये कहानियां आप गांव कनेक्शन वेबसाइट और अख़बार में भी पढ़ सकेंगे...

पैरों की बेड़ियां ख्वाबों को बांधे नहीं और इरादे हरे- हरे जिनके सीने में घर करें वो कभी भी ना रुकें। अपने जुनून के दम पर अपनी ही नहीं अपनी पूरी पीढ़ियों की किस्मत बदलने वाले अरबाज़ की जिंदगी की कहानी कुछ ऐसी ही है। तंगहाली और बदहाली उसके सपनों को हकी़कत में बदलने से नहीं रोक पाईं। जिंदगी में कठिन से कठिन चुनौतियां भी उसके इरादों को हिला नहीं पाईं।

पटना के एक छोटे से गांव का रहने वाला अरबाज़ आज आईआईटी मुंबई में पढ़ाई कर रहा है। लेकिन पटना के सरकारी स्कूल से आईआईटी मुंबई तक पहुंचने का ये सफर बेहद मुश्किल भरा था। अपने ख्वाबों को पूरा करने के इस सफर में अरबाज़ के सामने तंगहाली, भुखमरी और भयंकर गरीबी जैसी तमाम कठिनाइयां आईं, लेकिन अरबाज़ ने अपने जुनून, मेहनत और लगन के दम पर हर चुनौती को अपने सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।

अरबाज़ के मां-बाप अंडा बेच कर अपना और अपने बच्चों का पेट भरते थे। घर में अरबाज़ के अलावा पांच बच्चे और थे। आमदनी बेहद कम थी। ऐसे में पढ़ाई लिखाई कराना तो दूर की बात, पूरे परिवार के लिए दो वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल था। लेकिन अरबाज़ अपने बाकी के भाई बहनों की तरह नहीं था। वो पढ़-लिख कर अपनी और अपने परिवार की किस्मत बदलना चाहता था। वहीं अरबाज़ के मां-बाप भी उसकी नन्ही आंखों में छिपे बड़े ख्वाबों को पहचान गए थे।

ऋचा अनिरुद्ध

इसलिए उन्होंने उसे सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दिया और इसके बाद अरबाज़ ने अपनी जिंदगी की हर कमी को अपनी कामयाबी में बदल दिया। उसने हर क्लास में टॉप किया। बिना किसी कोचिंग के मैट्रिक में पांचवा स्थान हासिल किया। फिर आईआईटी में ऑल इंडिया में 67 रैंक हासिल की। और अब अरबाज़ अपने सपनों को परवाज़ देने के लिए तैयार है।

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