ड्रैगन फ्रूट: एक बार लगेगी लागत, 25 साल तक मुनाफा

गुजरात सरकार द्वारा ड्रैगनफ्रूट का नाम बदलकर कमलम रख देने के बाद विदेशी प्रजाति का ये फल सुर्खियों में है। ड्रैगनफ्रूट की खेती देश के कई राज्यों में होती है, जानिए इसकी खेती का गणति

Update: 2021-01-21 05:32 GMT

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। खेती में नए-नए प्रयोग कर अलग पहचान बनाने वाले बाराबंकी के प्रगतिशील किसान गया प्रसाद ने इस बार मध्य अमेरिका के फल 'ड्रैगन फ्रूट' की खेती शुरू की है। इस फसल में केवल एक बार निवेश के बाद पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 25 वर्षों तक इससे आमदनी हो सकती है।

उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले में रहने वाले गया प्रसाद ने आधा एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरु कराई है। गया प्रसाद बताते हैं, "ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार की कैक्टस बेल है। एक पौधे से 8 से 10 फल प्राप्त होते हैं। तीन सौ से पांच सौ ग्राम वजनी इन फलों की सीजन में दो सौ से चार सौ रूपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है। जो लखनऊ की फल मण्डी में आसानी से बिक जाता है।" ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा देना पड़ता है। इसलिए गया प्रसाद ने बाकायदा सीमेंट (आरसीसी) के खंभे बनवाकर लगवाए हैं।


गया प्रसाद का गांव बाराबंकी जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर फतेहपुर ब्लॉक के मोहम्मदपुर गांव में पड़ता है। गुलाब और सब्जियों की खेती के साथ वो गुलाबजल भी निकालते हैं। कैंसर को मात देकर किसानों के लिए मिसाल बनें गया प्रसाद औषधीय पौधों की भी खेती करते रहे हैं।

गया प्रसाद बताते हैं, "कैक्टस प्रजाति का होने के कारण ड्रैगन फ्रूट को पानी की कम ही जरुरत पड़ती है। इसमें चरने या कीड़ों लगने का जोखिम भी नहीं है। ड्रिप विधि से सिंचाई के चलते इसमें पानी की बहुत बचत होती है।"

खेत में आरसीसी पोल को 2 गुणे 2 व्यास वाले गड्ढों में खाद और कीटनाशी दवा डालकर गाड़ा गया है। पोल से पोल की दूरी 10 फुट है। ड्रैगन फ्रूट की पौध (नर्सरी) गुजरात के राजकोट से मंगाई गयी है। एक पौधा करीब 100 रुपए का पड़ा है। एक एकड़ में 1000 पौध पोलों से सटाकर रोपित किए जाते हैं। पूरे खेत में ड्रिप सिचाई की पाइप लाइन बिछाई गयी है।

गया प्रसाद के अनुसार एक एकड़ में करीब ढाई से तीन लाख की शुरूआती लागत आती है। लेकिन उसके बाद सिर्फ देखरेख का खर्च होता है, जबकि इससे 25 साल तक फसल मिल सकती है।

बाराबंकी के उद्यान अधिकारी महेंद्र कुमार बताते हैं, "गया प्रसाद ने अपने खेत पर पहले कुछ पौधे लगाए थे, जिनमें फल आए थे, यानि ये इस जलवायु में होने वाली फसल है। उनके यहां लगे कुछ पौधों के फल हमने भी खाएं हैं।"

उद्यान अधिकारी आगे बताते हैं, "बाराबंकी में दो और किसानों ने भी ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरु कराई है। इन्हें प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत ड्रिप इरीगेशन के लिए सरकारी सब्सिडी दी गई है। आगे जो संभव होगा मदद की जाएगी।"

ये भी पढ़ें : खेत उगलेंगे सोना, अगर किसान मान लें पद्मश्री भारत भूषण की ये 5 बातें

गुलाबी रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सी डेंट के गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा विटामिन सी, प्रोटीन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका फल कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल, कोशिकाओं और ह्रदय की सुरक्षा के साथ फाइबर से भरपूर होता है। इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना गया है।

कई दूसरे जिलों में भी होने लगी है खेती

उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के अलावा संभल और मुरादाबाद समेत कुछ जिलों में किसानों प्रयोग के तौर पर इसकी खेती शुरु की है। संभल के किसान शेख इकबाल इसकी काफी समय से खेती करते आ रहे हैं। उनके मुताबिक इसकी फसल के लिए रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, और पानी की जरुरत कम होती है। पिछले दिनों राजभवन में लगी शाक भाजी प्रदर्शनी में भी शेख इकबाल की स्ट्रॉबेरी समेत कई फसलों का प्रदर्शन हुआ था। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी भी पत्र भेजकर बधाई दे चुके हैं। 

ये भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ के इस आम किसान से सीखिए कृषि इंजीनियरिंग और खेती के तरीके


Similar News