लखनऊ। मानसून की सामान्य बारिश कम होने से इस साल कई राज्यों में सूखा पड़ने की उम्मीद है। ऐसे में कृषि उत्पादन भी घटने का खतरा मंडरा रहा है। बरसात कम होने से मध्य प्रदेश सरकार ने अपने राज्य के 13 जिलों की 110 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में सूखे की आशंका को देखते हुए सभी मण्डलायुक्तों और जिलाधिकारियों को सूखे से निपटने के लिए वैकल्पिक तैयारी करने का निर्देश दिए हैं।
17 राज्यों पर सूखे का संकट
कृषि मंत्रालय के तहत देश में सूखे पर नजर रखने वाली नेशनल एग्रीकल्चर एंड ड्राउट एसेसमेंट सिस्टम ने भी पिछले दिनों देश के 17 राज्यों के 225 जिलों में कम बारिश होने की वजह से इनको सूखाग्रस्त घोषित किया था। यह सभी राज्य कृषि उत्पादन के अग्रणी राज्य हैं।
अनाज उत्पादन का भी घटने का अनुमान
ऐसे में अनाज उत्पादन घटने का भी अनुमान लगाया था। इस रिपोर्ट के बाद कृषि मंत्रालय हरकत में आया था और इस रिपोर्ट को खारिज करने की भी कोशिश की थी, लेकिन मध्य प्रदेश ने इस रिपोर्ट को मानते हुए अपने राज्य के कई जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया।
देश में कुल बारिश बहुत कम नहीं हुई मगर...
भारतीय कृषि, किसान कल्याण एवं सहकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल कॉप फॉरकास्ट सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. शिबेंदु शेखर रॉय बताते हैं, ''देश में कुल बारिश बहुत कम नहीं हुई है, लेकिन देश के कुछ खास हिस्से जैसे महाराष्ट्र का विदर्भ और मराठवाड़ा, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में कम बारिश हई, चूंकि इन राज्यों का अनाज उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी है, ऐसे में यहां पर कम बरसात होने से खाद्यान्न उत्पादन पर असर पड़ सकता है।''
देश में कुल बारिश बहुत कम नहीं हुई है, लेकिन देश के कुछ खास हिस्से जैसे महाराष्ट्र का विदर्भ और मराठवाड़ा, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में कम बारिश हई, चूंकि इन राज्यों का अनाज उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी है, ऐसे में यहां पर कम बरसात होने से खाद्यान्न उत्पादन पर असर पड़ सकता है।डॉ. शिबेंदु शेखर रॉय, निदेशक, नेशनल क्रॉप फॉरकास्ट सेंटर, नई दिल्ली
सूखे से निपटने की तैयारी
मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव राजस्व अरुण पाण्डेय बताते हैं, ''मध्य प्रदेश में इस साल कम बरसात होने से राज्य के 13 जिलों को सखाग्रस्त घोषित करके यहां पर सूखे से निटपने की सभी तैयारी की जा रही हैं।'' भारतीय मौसम विभाग ने सितंबर में खत्म हुए इस साल के मानसून सीजन के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके अनुसार इस साल देश में सामान्य वर्षा से पांच प्रतिशत कम मानसूनी बारिश हुई है। मौसम विभाग के डीजीएम डॉ. एम. महापात्रा बताते हैं, ''इस साल मानसून की बरसात को जो दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी किया था, उसके मुताबिक 887.5 मिलीमीटर बरसात होनी थी, लेकिन बरसात सिर्फ 841.3 मिलीमीटर ही हुई।''
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव ने दिए अधिकारियों को निर्देश
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में सूखे की आशंका से निपटने के लिए प्रदेश के प्रमुख सचिव राजीव कुमार बताते हैं, ''सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया जा चुका है कि पशुओं के पेयजल के लिए सिंचाई विभाग की नहरों और नलकूपों के माध्यम से तालाब और पोखरों को भरवाने की व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए। पशुओं के लिए चारे की पर्याप्त उपलब्धता कराने के साथ ही नहरों और नलकूपों से पानी की व्यवस्था की जाए।''
सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया जा चुका है कि पशुओं के पेयजल के लिए सिंचाई विभाग की नहरों और नलकूपों के माध्यम से तालाब और पोखरों को भरवाने की व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए। पशुओं के लिए चारे की पर्याप्त उपलब्धता कराने के साथ ही नहरों और नलकूपों से पानी की व्यवस्था की जाए।राजीव कुमार, प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश
मानसून की बारिश में नहीं रही निरंतरता
इस साल मानूसन के शुरुआती दो महीने जून और जुलाई में सामान्य से तीन फीसदी ज्यादा बारिश हुई, लेकिन उसके बाद के दो महीने अगस्त और सितंबर में बारिश में 12.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई। इस साल मानसून की बारिश में निरंतरता भी नहीं रही। कई राज्यों में शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश हुई, लेकिन बाद में लंबे समय तक बरसात नहीं हुई। इससे जरुरत के मुताबिक समय पर पानी न मिलने से फसलें बर्बाद भी हुईं। नदियों में भीषण बाढ़ ने भी फसलों को बर्बाद किया। ऐसे हालत में कृषि उत्पाद घटने की संभावना है।
52 फीसदी असिंचित कृषि भूमि में पानी उपलब्ध कराना पहले से चुनौती
कृषि मंत्रालय भारत सरकार के अनुसार, भारत में विश्व की आबादी की 17 प्रतिशत जनसंख्या और 11.3 प्रतिशत पशुधन निवास करते हैं, जबकि देश में विश्व का मात्र 4 प्रतिशत जल संसाधन ही उपलब्ध है। देश में कुल 200.8 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से मात्र 95.8 मिलियन हेक्टेयर भूमि सिंचित है, जोकि कुल क्षेत्रफल का केवल 48 प्रतिशत है, ऐसे में 52 फीसदी असिंचित कृषि भूमि में पानी उपलब्ध कराना पहले से चुनौती था, इसलिए इस बार कम कम मानसूनी बारिश ने और भी चिंता बढ़ा दिया है।
पिछली बार भी भविष्यवाणी में अंतर
देश में मानसून का सीजन चार महीनों का होता है। मानसून जून में शुरू होता है और सितंबर तक सक्रिय रहता है। दीर्घावधि पूर्वानुमान के दौरान मौसम विभाग कई पैमानों का इस्तेमाल कर इन चार महीनों के दौरान होने वाली मानसूनी बारिश की मात्रा को लेकर संभावना जारी करता है। पिछले साल मौसम विज्ञान विभाग ने मानसून के 106 प्रतिशत बारिश की भविष्यवाणी लेकिन वास्तविक बारिश 97 प्रतिशत हुई थी।
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