नरसिंहपुर के किसानों ने खून से लिखे गन्ने के दाम, लिखा-400 रुपए क्विंटल का दाम लेकर रहेंगे
नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश में 50 प्रतिशत से ज्यादा गन्ना उत्पादन करने वाला जिला नरसिंहपुर के नाराज गन्ना किसानों ने शनिवार को कलेक्ट्रेट ऑफिस की दीवारों पर अपने खून से लिखा, “रेट 400 प्रति कुंतल चाहिए, गन्ना की रिकवरी 11.5 प्रतिशत आई है तो अब 400 रुपए क्विंटल का दाम लेकर रहेंगे, जय जवान, जय किसान।’’
रिकवरी के अनुसार गन्ने का दाम नहीं मिल रहा
नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सन्नापुर गाँव के किसान बाबू पटेल (50 वर्ष) भारतीय किसान यूनियन संघ के जिलाअध्यक्ष हैं। बाबू पटेल ने ‘गाँव कनेक्शन’ को फोन पर बताया, “हमारे क्षेत्र में गन्ना बहुत ज्यादा होता है, लेकिन प्रशासन और मिल मालिकों की मिलीभगत से गन्ना किसानों को दाम नहीं मिल पाता है, इस बार उड़द की फसल भी नष्ट हो गयी, भावान्तर योजना का भी सही से लाभ नहीं मिल पा रहा है, साथ ही रिकवरी के अनुसार गन्ने का दाम भी नहीं मिल रहा है। इसको लेकर आज गन्ना किसानों ने कलेक्ट्रेट में अपने खून से दरवाजे पर लिखकर मांग की है।’’
पांच नवंबर को हुई थी बैठक
जिले के किसानों, मिल मालिकों, और प्रशासन के बीच गन्ने के दामों को लेकर पिछले कई वर्षों से मांग चल रही थी। इसी सन्दर्भ में पांच नवम्बर को कलेक्ट्रेट में बैठक हुई थी, जिसमें किसान, मिल मालिक, प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे।
गन्ने की रिकवरी 11.5 प्रतिशत आई
बाबू पटेल ने बताया, “प्रशासन और मिल मालिकों ने कहा था कि गन्ने की रिकवरी के अनुसार गन्ने का दाम साढ़े सात प्रतिशत पर 255 रुपए निर्धारित किए गए हैं। अगर रिकवरी बढ़ेगी तो हम दाम बढ़ा देंगे, सभी की सहमति के बाद चार-पांच ब्लॉक के किसानों के कई खेत से गन्ना लेकर पवार खेड़ा गन्ना अनुसंधान संस्थान में जब वैज्ञानिकों ने इसकी रिकवरी जांच की।’’ वो बताते हैं, “जांच रिपोर्ट के बाद गन्ने का रिकवरी 11.5 प्रतिशत आया, इस हिसाब से गन्ने का दाम 400 रुपए प्रति कुंतल होना चाहिए, हम किसान गन्ने की रिकवरी के अनुसार दाम निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं।’’
हम सिर्फ रिकवरी के अनुसार दाम की मांग कर रहे
नरसिंहपुर जिले के जोबा गाँव के किसान विश्वास परिहार बताते हैं, “हमारे गाँव में इस साल लगभग 300 एकड़ गन्ना है, मिल मालिकों और प्रशासन ने कहा था अगर रिकवरी 9 प्रतिशत निकलेगी तो 350 रुपए प्रति कुंतल गन्ने का दाम मिलेगा। उनके कथनानुसार रिकवरी 11.5 प्रतिशत निकली। इस हिसाब से गन्ने का दाम 400 रुपए प्रति कुंतल होना चाहिए। हम रिकवरी के अनुसार दाम की मांग कर रहे हैं। लेकिन अभी तक हम गन्ना किसानों को 255 रुपए प्रति कुंतल के रेट से ही दाम मिल रहे हैं।’’
इसलिए किसानों ने खून से जाहिर किया गुस्सा
बाबू पटेल ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, “मिल मालिक गन्ना किसानों का पिछले कई वर्षों से शोषण कर रहे हैं, भाव तो कम है ही, कटौती भी करते हैं और समय पर भुगतान नहीं मिलता है। आज 60-70 किसानों ने अपना खून निकाल कर गुस्सा जाहिर किया। किसानों के आन्दोलन के बाद प्रशासन ने ये आश्वासन दिया है कि सोमवार को वो अपना फैसला सुनायेंगे।’’ वो आगे बताते हैं, “जैसे-जैसे समय बढ़ता जाएगा रिकवरी बढ़ती जायेगी, फरवरी और मार्च महीने में 16 से 18 प्रतिशत प्रति कुंतल तक शक्कर निकलती है। बरसात इस बार कम हुई है इस वजह से गन्ने का उत्पादन भी कम हुआ है लेकिन इसका रिकवरी प्रतिशत ज्यादा निकल रहा है।’’
मनमर्जी से तय करते हैं दाम
करताज गाँव के किसान राकेश दुबे ने इस बार 33 एकड़ गन्ना लगाया है। इनका कहना है, “किसान इतनी मेहनत से खेती करता है, जब उसे वाजिब दाम नहीं मिलता है तो उसे निराशा होती है। हमारे यहाँ छह सात प्राइवेट गन्ना मिल हैं, ये मिल मालिक अपन मनमर्जी से किसानों को इतना कम दाम देते आये हैं, उम्मीद है इस आन्दोलन के बाद मिल मालिक और प्रशासन का रवैया बदलेगा।’’
रेट तय करना जिला प्रशासन का काम नहीं
नरसिंहपुर के कृषि विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर अभिषेक दुबे ने ‘गाँव कनेक्शन’ को फोन पर बताया, “प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है कि किसानों को बेहतर दाम मिल सके, रेट तय करना जिला प्रशासन का काम नहीं है, ये किसानों और मिल मालिकों का आपसी सामंजस्य है, फिर भी हमारा प्रयास यही है कि इनके बीच आपसी सामंजस्य बन जाए, प्रशासन इसके लिए पूरी तरह से प्रयास में जुटा है कि किसानों को उनका दाम मिल सके।’’
उत्तर प्रदेश में भी गन्ना किसानों में नाराजगी
गन्ने के दामों को लेकर ये मामला सिर्फ मध्य प्रदेश का नहीं है। अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पेराई सत्र 2017-18 के लिए गन्ने का दाम महज 10 रुपए प्रति कुंतल बढ़ाया है, जिससे एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का असंतोष सड़कों पर आता दिखने लगा है। भारतीय किसान यूनियन ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने गन्ने को जलाकर अपना प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराया है। इस मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसानों की नाराजगी दिखने लगी है। भले ही चीनी उद्योग ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन किसान इससे फिर से निराश हुए हैं।