राधमोहन सिंह ने बताया कि कैसे 2022 तक दोगुनी होगी किसानों की आय

Update: 2017-05-28 13:17 GMT
राधामोहन सिंह ने कहा कि हमारे पास 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने का एक स्पष्ट खाका है।

नई दिल्ली (भाषा)। साल 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है और हमने राज्य एवं संघ सरकारों से किसानों की आय दुगनी करने की रणनीति के बारे सम्पर्क किया है और उनके सकारात्मक रुख के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

राधामोहन सिंह ने कहा, ‘‘हमारे पास 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने का एक स्पष्ट खाका है। कृषि मंत्रालय, उर्वरक मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, उर्जा मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय सहित विभिन्न विभाग एक साथ मिलकर दक्ष कृषि के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का कार्य कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से कृषि जिन्सों का मूल्यवर्द्धन होगा और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार का सृजन करके किसानों को अधिकतम लाभ प्रदान किया जा सकेगा।

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उन्होंने कहा कि हालांकि हमें यह याद रखना चाहिए कि कृषि राज्य का विषय है और हमें एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। सिंह ने कहा, ‘‘मैंने सभी राज्य एवं संघ राज्य सरकारों से किसानों की आय दुगनी करने की अपनी रणनीति बनाने का अनुरोध किया है। हम लगातार इनसे सम्पर्क में हैं और इन्होंने साल 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के दृष्टिकोण के प्रति सकारात्मक रुख दर्शाया है।''

वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के संबंध में सरकार की पहल के बारे में कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘मेरा मंत्रालय 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य को प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में वृद्धि करके और प्रति किसान के स्तर पर कुल उत्पादन में वृद्धि, उर्वरक एवं कीटनाशक, श्रम, जल आदि जैसे उत्पादन कारकों को युक्तिसंगत बनाने के साथ कृषि लागत में कमी करके हासिल करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण और विपणन सहित उत्पादन गतिविधियों से किसानों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।’’

राधामोहन सिंह ने कहा कि इसका अभिप्राय यह नहीं है कि किसी भी कीमत पर केवल उनका उत्पादन ही बढाया जाए। वास्तव में मध्यप्रदेश ने यह सिद्ध कर दिया है कि कृषि में उच्च प्रगति दर प्राप्त करना संभव है। 2005-06 से 2014-15 के दौरान मध्यप्रदेश में कृषि की सकल राज्य घरेलू उत्पादन दर प्रतिवर्ष 9.7 प्रतिशत थी।

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सिंह ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि यदि राज्य उचित नीति कार्यान्वयन द्वारा संयुक्त और सुनियोजित प्रयास करे तो उच्च प्रगति दर प्राप्त करना कोई असंभव कार्य नहीं है। हमने विकास के विभिन्न स्रोतों को चिन्हित किया है जो किसानों की आय को बढ़ाने में योगदान देंगे।

कृषि मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ठोस प्रगति के साथ साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि देश को विश्व की अग्रणी आर्थिक शक्ति में परिवर्तित किया जा सके। इस संबंध में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कृषि के आधारभूत महत्व को समझने के साथ साथ यह भी जानते है कि अर्थव्यवस्था को सुधारने और मजबूती प्रदान करने में इसका कितना प्रभावी योगदान है।

सरकार जब से सत्ता में आई है तभी से वह निरंतर यह प्रयास कर रही है कि किसानों को संस्थागत रिण उपलब्ध कराये जाए। वर्ष 2014-15 में फसल और निवेश राशियों के लिए उपलब्ध अल्पकालीन फसली रिण को 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
राधामोहन सिंह, कृषि मंत्री

सिंह ने कहा कि किसान ब्याज छूट योजना के तहत 2017-18 में 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की रियायती दर पर फसल रिण प्राप्त करने में सक्षम होंगे। चूंकि अधिकतर किसान छोटे और सीमांत है, जो लगभग 86 प्रतिशत हैं और वे अपने फसल रिण के लिए ज्यादातर प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाइटी के पास जाते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 2017-18 के बजट में पूरे देश में 63 हजार प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाइटी का कम्प्यूटरीकरण करने की योजना आगे बढ़ायी गई है।

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उन्होंने कहा कि इससे उन्हें आसान रिण उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी और पारदर्शिता आयेगी। हम ऐसे क्षेत्रों पर खास ध्यान दे रहे हैं जो वंचित क्षेत्र रहे हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि हम कृषिगत कार्य पर विशेष ध्यान दे रहे है। हमारा विचार है कि कृषि क्षेत्र एक व्यवहार्य क्षेत्र तभी बनेगा जब किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम मिलेंगे।

राधामोहन सिंह ने कहा कि विपणन कार्य को सुचारु रुप प्रदान करने के लिए सरकार ‘एकीकृत राष्ट्रीय कृषि मंडी’ (नाम) को व्यापक रुप प्रदान करने को प्रतिबद्ध हैं। इस उद्देश्य के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रैल 2016 में ई-नाम नामक योजना शुरु की है।

उन्होंने कहा कि अब तक 400 मंडियों को जोड़ने के लक्ष्य की तुलना में 13 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों में 419 मंडियां बनाई गई हैं। इस योजना की सफलता इस बात से स्पष्ट है कि देश में पिछले एक वर्ष में 196 करोड़ रुपये की कीमत की 80.19 लाख टन जिंसों का व्यापार इस मंच से किया गया है।

कृषि मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने अनेक ऐसी योजना बनाई है जिससे किसानों को फसलों, बागवानी, डेयरी, पशुपालन और कुकुक्ट पालन आदि के क्षेत्र में उच्च उत्पादकता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। हम ज्यादा कीमत देने वाली फसलों एवं जिंसों पर ध्यान दे रहे हैं ताकि किसान अधिक आय प्राप्त कर सकें।

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उन्होंने कहा कि यह सब इस प्रकार से किया जा रहा है कि देश की बढती हुई आबादी के लिए खाद्य एवं पोषाहार सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं से कोई समझौता नहीं किया जा सके। कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षो में सूक्ष्म सिंचाई के तहत शामिल क्षेत्रों में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2013-14 के दौरान 4.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया था जबकि 2016-17 के दौरान यह बढकर 8.3 लाख हेक्टेयर हो गया।

उन्होंने कहा कि प्रति बूंद अधिक फसल के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत उपलब्ध निधियों के अतिरिक्त हमने 2017 और 2018 के दौरान सूक्ष्म सिंचाई के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का कार्पस फंड सृजित कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि इसके अलावा हम मधुमक्खी पालन, मशरुम की खेती जैसी कृषि से इतर गतिविधियों सहित विविध प्रकार की खेती को बढावा दे रहे हैं। इससे रोजगार में वृद्धि होने के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि होगी।

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