62 वर्ष के किसान चांद सिंह ने अपनाई खेती की नई तकनीकें और बने 'सब्जी रत्न'

Update: 2019-01-23 05:47 GMT
हरियाणा के किसान चांद सिंह।

हरियाणा के 62 वर्ष के सब्जी उत्पादक किसान चांद सिंह ने पारंपरिक खेती को छोड़कर न सिर्फ जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाया, बल्कि खेती की नई-नई तकनीकों को भी अपनाया। सरकार ने किसान की ऐसी लगन को देखते हुए हाल में चांद सिंह को 'सब्जी रत्न' पुरस्कार से सम्मानित किया है।

चांद सिंह हरियाणा के गुरुग्राम की तहसील पटौदी के इन्छापुरी गांव के रहने वाले हैं। वह शुरू से ही सब्जियों की खेती कर रहे हैं, पहले उनको अपनी फसलों में पैदावार तो मिलती थी, मगर कई बार तो सब्जी खराब हो जाने से नुकसान उठाना पड़ता था तो कई बार फसलों की उचित कीमत बाजार में नहीं मिलती थी।

'गाँव कनेक्शन' से फोन पर बातचीत में किसान चांद सिंह बताते हैं, "तब मैंने अपने खेत में धीरे-धीरे जैविक खेती को अपनाना शुरू किया और नई-नई तकनीकों के बारे में भी पढ़ना शुरू किया। इतना ही नहीं, किसान मेलों में कई तकनीकों के बारे में जानकारी जुटाई और फिर धीरे-धीरे उन्हें भी अपनाना शुरू किया।"

आज किसान चांद सिंह अपनी 6 एकड़ जमीन में से 4 एकड़ पर ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। वे सबसे ज्यादा टमाटर, बैंगन और ब्रोकली समेत बाजार में मांग के अनुसार सब्जियों की खेती करते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने खेत में पॉलीहाउस भी बनवाया है। इसके अलावा प्लास्टिक मल्चिंग, लो टनल और स्टैकिंग (बांस के जरिए खेती करना) के जरिए भी खेती करना शुरू किया।

Full View

किसान चांद सिंह आगे बताते हैं, "मैंने अपने गांव में 8 साल पहले ही जैविक खेती करना शुरू किया। इसके लिए सबसे पहले मैंने वर्मी कंपोस्ट की यूनिट लगाई और रासायनिक कीटों का इस्तेमाल बंद कर नीम व धतूरा तेल से फसलों पर छिड़काव करना शुरू किया।"

यह भी पढ़ें: गर्मी बढ़ने पर कद्दू लौकी जैसी सब्जियों में लगने लगें रोग और कीड़े,  अपनाएं ये उपाय

किसान चांद सिंह 6 एकड़ में कर रहे हैं सब्जी की खेती।

वह बताते हैं, "इस बार करीब सवा सौ कुंतल टमाटर की पैदावार हुई, मगर तहसील पटौदी की मंडी में अच्छा दाम नहीं मिलता था और जैविक खेती के प्रति भी लोगों का रुझान नहीं था। इसलिए मैं अपनी जैविक उपज को गुरुग्राम में बेचने के लिए जाता हूं, जहां जैविक उपज की अच्छी मांग भी है। यहां मेरी उपज हाथों हाथ बिक जाती है।"

चांद सिंह आगे बताते हैं, "आज गांव में जैविक खेती कर मुझे अच्छा मुनाफा मिल रहा है। बड़ी बात यह है कि टमाटर की क्वालिटी भी बहुत अच्छी है। मेरे उपज के टमाटर 20 दिन तक भी रखे रहें तो खराब नहीं होंगे। और किसानों की अपेक्षा टमाटरों की क्वालिटी अच्छी होने की वजह से ही मुझे पिछले साल भी पुरस्कार मिला था।"

तकनीकों के बारे में पूछने पर चांद सिंह बताते हैं, "खेती बदल रही है तो अब किसानों को नई-नई तकनीकों को अपनाना होगा, जिससे उन्हें फायदा मिलेगा। यही कारण है कि मैं पॉलीहाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, लो टनल तकनीक और स्टेकिंग को अपना कर खेती कर रहा हूं।"

तकनीकों की खूबियों के बारे में आगे कहते हैं, "स्टेकिंग के जरिए मैं खेती करता हूं, इससे खेत में बांस लगाता हूं और पौधों को उनके जरिए बांध देता हूं, इससे मिट्टी के सीधे संपर्क में न आने से पौधों को रोग भी नहीं लगते।"

किसान चांद सिंह को हाल में हरियाणा के रोहतक शहर में थर्ड एग्रीकल्चर लीडरशिप समिट-2018 में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने एक लाख धनराशि के साथ अवॉर्ड और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

Full View

यह भी पढ़ें: कोरॉजन कीटनाशक के प्रयोग से गन्ना किसानों को होगा नुकसान: गन्ना एवं चीनी आयुक्त

हाइड्रोजेल बदल सकता है किसानों की किस्मत, इसकी मदद से कम पानी में भी कर सकते हैं खेती

कुपोषण दूर करने में मदद करेंगी मूंगफली की ये नई किस्में

Similar News