स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
औरैया। यूपी के इस जिले में अगेती मक्का की खेती इस समय पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। भुटटे में दाने आ चुके हैं और दुधिया हो चुके हैं। दूधिया दानों की बढ़त को रोकने के लिए स्टिम बोरर का प्रकोप दिखाई देने लगा है। प्रकोप इतना अधिक है कि अगर सावधानी नहीं बरती गई तो भुटटे के आस-पास सफेदी लगने से पैदावार कम हो सकती है।
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कृषि विभाग के पीपीओ सुमित कुमार पटेल ने किसानों को बताया, “मक्का की खेती तैयार हो चुकी है। अब मक्का पकने की कगार पर पहुंच रही है। दानों की मजबूती को रोकने के लिए स्टिम बोरर (तना छेदक) कीट लग रहा है। इससे फसल की पैदावार में गिरावट आ सकती है। भुटटे के अलावा तना में भी कीड़ा लग रहा है।” उन्होंने बताया कि इससे मक्का का पौधा बीच से टूट सकता है। अगर पौधा बीच से टूट कर गिर जाता है तो भुटटे में आए दाने सही होने की बजाए वहीं पर सिकुड़ जाएंगे और किसी लायक नहीं रहेंगे।”
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उन्होंने बताया कि इस कीड़े को रोकने के लिए पाउडरी मिल्ड्यू का छिड़काव करें। इसके 100 एमएल को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा मक्का के लिए देसी उपचार भी है, जिसके इस्तेमाल से मक्का उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। गोबर, गौमूत्र और छाछ मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है। इससे तना और भुटटे में लग रहे कीड़े मर जाएंगे और फसल की पैदावार अधिक होगी। एक महीने में इसका पांच बार छिड़काव करना चाहिुए।
राम बिहारी (52 वर्ष), निवासी चिचैली बताते हैं, “नहर किनारे मक्का की फसल है जिसमें अब भुटटे के ऊपर सफेदी आ रही है और कीड़ा दिखाई नहीं दे रहा है। इससे फसल की पैदावार पर असर पड़ेगा।” उप कृषि निदेशक विजय कुमार ने बताया, “किसानों को सब्सिडी पर कीटनाशक दवा दी जा रही है। किसान कृषि रक्षा इकाई से लेकर फसल पर छिड़काव कर नुकसान से फसल को बचाऐं।”
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