लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं बावजूद इसके खाद्यान्न उत्पादन स्थिर है। वहीं दूसरी तरफ कृषि योग्य जमीन का गैर कृषि में उपयोग होने से हर साल 25 से 30 हजार हेक्टेयर खेती की जमीन घट रही है। ऐसे में प्रदेश की 24 हजार हेक्टेयर ऊसर और बीहड़ भूमि का उपचार करके उसको खेती के लिए लायक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम योजना बनारक काम करने जा रहा है। उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त चंद्र प्रकाश ने बताया '' प्रदेश के 32 जिलों में 8 हजार हेक्टेयर ऊसर भूमि और 16 हजार बीहड़ भूमि को सुधारने की परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है। डेढ़ साल में इन जमीनों का उपचार करके यहां पर खेती शुरू हो जाएगी। ''
उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, बाराबंकी, इलाहाबाद, कौशाम्बी, रायबरेली, प्रतापगढ़, जौनपुर और सुल्तानपुर ऐसे जिले हैं जहां पर बड़ी मात्रा में ऊसर और बीहड़ भूमि बेकार पड़ी है। इन जमीनों का किसी भी तरह का उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पिछले कई सालों से यहां की जमानों को सुधारने के लिए उत्तर प्रदेश भूमि सुधार सुधार निगम विश्व बैंक और भारत सरकार से मदद लेकर कई परियोजना चला रहा है। ऊसर और बीहड़ भूमि को सुधारने के लिए जहां पर यह जमीनें हैं उसके आसपास के गांव के लोगों को जागरूक करनके साथ ही वाटर यूजर ग्रुप का गठन किया जाना है।
उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम के अनुसार प्रदेश में 1 लाख 30 हजार उसर-बीहड़ भूमि को चिन्हित किया गया है। उत्तर प्रदेश में ऊसर और बीहड़ को सुधारने लिए 2008 में योजना शुरू की गई थी। साल 2009 में विश्व बैंक ने इस परियोजना में साथ आकर आर्थिक सहायता शुरू की थी। पिछली अखिलेश यादव सरकार ने साल 2016-17 के बजट में प्रदेश के 29 ऊसर बाहुल्य जिलों में लागू सोडिक लैण्ड रिक्लेमेशन-तृतीय ऊसर सुधार की परियोजना में 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर ऊसर भूमि सुधार का लक्ष्य रखा था लेकिन इसमें से अधिक जमीन का सुधार नहीं हो पाया है।
ऊसर और बीहड़ भूमि सुधार योजना के अंतगर्त जो जमीने उपचार करके खेती योग्य बनाई होंगी उनको ग्रामसभा के माध्यम से उस क्षेत्र के भूमिहीन किसानों के बीच वितरित करके वहां पर खेती करवाई जाएगी। इकसे अलावा इन जमीनों पर जल निकासी की व्यवस्था करके वृक्षारोपण करवाया जाएगा। इस काम के लिए वन विभाग की मदद ली जाएगी। उत्तर प्रदेश की उसर भूमि में कृषि विभाग की तरफ से बाजरे और ज्वार की खेती को बढ़ावा भी दिया जा रहा है क्योंकि इन दोनों फसलों से उसर में जहां खेती हो सकती हैं वहीं इनसे उसर भूमि का सुधार भी होता है।