सावधान : आलू की फसल पर मोजेक वायरस और झुलसा रोग का ख़तरा, बचाव के लिए करें ये उपाय

Update: 2017-12-08 16:49 GMT
आलू की फसल पर मोजेक और झुलसा रोग का ख़तरा।

लखनऊ। इस समय आलू किसानों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि इस समय आलू में मोजेक वायरस और अगेती झुलसा का ख़तरा रहता है। जो फसल इसकी चपेट में आ जाती है वो लाख कोशिश के बावजूद सभल नहीं पाती है।

मौजेक चूसक कीटों की वजह से फसल में लगता है और झुलसा दो तरीके का होता है। पहला अगेती झुलसा और दूसरा पछेती झुलसा। इस समय अगेती झुलसा लगने का समय है। हालांकि इस समय मौसम काफी अच्छा है, लेकिन अगर कहीं मौसम ने करवंट ली और बदली होनी शुरू हौ गई तो फसल झुलसा की चपेट में आ सकती है।

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि के प्रोफेसर साकेत कुशवाहा ने मोजेक वायरस के बारे में बताया, ''मौजैक डिजीज चूसक कीड़ों की वजह से फैलता है। इस लिए समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करते रहे हैं और अगर इसका प्रकोप हो गया है तो इसके लिए बेहतर यही रहता है कि जिस पौधे में इसका प्रकोप हो उसे उखाड़ कर जला दिया जाए। क्योंकि मौजेक से बचाव की अपनी कोई दवा अभी तक बनी नहीं है।'' मोजेक वायरस से पौधे की पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। इसका असर आलू, टमाटर, भिन्डी, पपीता आदि पर होता है।

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अनुसार भारत में हर वर्ष करीब 31521.95 हैक्टेयर में आलू की बुआई की जाती है, जिससे औसतन 613435.27 मीट्रिक टन उत्पादन होता है।

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''बदली और कोहरे की वजह से फंगस का इनफेक्श हो जाता है, जिसकी वजह से झुलसा रोग लग जाता है। ये समय अगेती झुलसा लगने का है। अगर बदली होने लगी तो ये रोग लग सकता है,'' उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग के आलू विकास अधिकारी वाहिद अली ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''अगेती झुलसा के बचाव के लिए जैसे ही बदली हो तुरंत दवाओं का छिड़काव करें, क्योंकि अगर एक बार इसका प्रकोप हो गया तो बचाव करना बहुत मुश्किल हो जाता है।''

इस समय भारत दुनिया में आलू के रकबे के आधार पर चौथे और उत्पादन के आधार पर पांचवें स्थान पर है। आलू की फसल को झुलसा रोगों से सब से ज्यादा नुकसान होता है।

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उन्होंने बताया, ''अगेती झुलसा से बचने के लिए किसानों को डाइथेम एस 45 या डाइथेम जेड 78 का छिड़काव करना चाहिए। और पछेती झुलसा के लिए रेडमेल का छिड़काव करना चाहिए।'' वाहिद अली ने बताया, ''इनमे से जिस भी दवाई का आप छिड़काव करने जा रहे हों, उसके लिए ये ध्यान रखें कि प्रति लीटर ढ़ाई से तीन ग्राम दवाई मिलाकर छिड़काव करें।''

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फर्रुखाबाद के आलू एवं साकभाजी विभाग अधिकारी नेपाल राम ने बताया, ''अगेती झुलसा का ज्यादा प्रभाव नहीं होता है, पछेती झुलसा का प्रभाव ज्यादा पड़ता है।'' उन्होंने बताया, ''मोजेक से बचने के लिए किसानों को फास्फोमाईडान या मोनोक्रोटोफास की एक एसएल प्रति लीटर पानी मीलाकर हर 15 दिन पर छिड़काव करना चाहिए।''

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