सरकारी कृषि रक्षा इकाई में निजी दुकानों के दाम पर मिल रहा बीज

Update: 2017-10-31 16:46 GMT
खाते में सब्सिडी आने से किसानों को अधिक पैसे देकर खरीदना पड़ रहा बीज।

लखनऊ। गोरखपुर जिले के रमुवापुर गाँव के अजय मिश्रा (32 वर्ष) ने अपने ब्लॉक की कृषि रक्षा इकाई से पांच बोरी गेहूं का बीज खरीदा। सरकार की नई व्यवस्था के तहत खाते में बीज की सब्सिडी मिलने से इस बार उन्हें गेहूं की एक बोरी खरीदने के लिए डेढ़ गुना अधिक पैसा देना पड़ा।

गोरखपुर जिले के पिपराइच ब्लॉक में रमुवापुर गाँव में आठ एकड़ में गेहूं की खेती कर रहे किसान अजय मिश्रा सरकार की इस व्यवस्था को किसानों के लिए लाभकारी नहीं मानते हैं। वो बताते हैं,’’ गेहूं के बीज (50 किलो) की बोरी, जो कृषि रक्षा इकाई पर पहले 600 रूपए की मिलती थी, वो बोरी इस साल 850 रुपए की मिल रही है।’’ उन्होंने आगे बताया कि खाते में सब्सिडी का पैसा कब तक मिलेगा, ये पूछने पर प्रभारी ने बताया कि दो महीने बाद पैसा खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

सरकार किसानों को सरकारी केद्रों से खाद, बीज और कृषि उपकरण खरीदने पर मिलने वाली सब्सिडी की धनराशि को सीधे उनके खाते में भेजने की व्यवस्था चला रही है। इस योजना में (डीएपी) उर्वरकों को शामिल करते हुए सरकार सरकारी प्रत्यक्ष अंतरण योजना (डीबीटी) की शुरूआत एक जनवरी 2018 से कर रही है। इस योजना का प्रयोगिक कार्य गोरखपुर में शुरू भी हो चुका है। क्योंकि सब्सिडी का पैसा अब खाते में भेजा जा रहा है, इसलिए बीज व खाद की बोरी फैक्ट्री रेट पर पहले से महंगी मिल रही हैं।

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‘’ पिछले कई वर्षों से खाद, बीज व अन्य कृषि वस्तुओं की बढ़ रही ब्लैक मार्केटिंग को रोकने के लिए सरकार ने किसानों को इन सामानो की खरीद पर मिलने वाली सब्सिडी सीधे खातों में भेजने की व्यवस्था बनाई है। इसके लिए सरकारी कृषि इकाईयों पर पोओएस मशीने भी लगाई गई हैं।’’ यह बताया डॉ. विष्णु प्रताप सिंह अपर कृषि निदेशक ( बीज एवं प्रक्षेत्र) कृषि विभाग उत्तर प्रदेश ने।

उत्तर प्रदेश में डीबीटी योजना बेहतर तरीके से लागू की जा सके, इसके लिए प्रदेश में कुल 37 हजार 48 उर्वरक की दुकानें हैं जहां पर पीओएस मशीनें लगाई जा रहीं हैं और दुकान संचालकों को पीओएस मशीन चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके लिए उवर्रक कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह उर्वरक विक्रेताओं को पीओएस उपलब्ध कराएं।

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