जोते गए खेतों पर धूप पड़ने से बढ़ती है उत्पादकता, जानिए क्या है मृदा सूर्यकिरण

Update: 2017-10-27 17:19 GMT
जुताई के बाद मिट्टी पर धूप पड़ने से उसमें पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।

लखनऊ। “अधिक धूप के कारण फसलों में पाए जाने वाले पोषकतत्व नष्ट हो जाते हैं, लेकिन फसल की बुवाई से पहले खेत में मृदा सूर्यकरण तकनीक से खेत की मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है और फसल की पैदावार भी बेहतर हो जाती है।”

यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रधान वैज्ञानिक पीके दास ने पिछले दिनों लखनऊ में कही। उन्होंने आगे बताया कि मृदा सूर्यकरण एक ऊष्म-शीत पद्धति तकनीक है। इस प्रक्रिया में खेत की जुताई के बाद उसपर खुली धूप पड़ने से खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ जाती है और फसल की पैदावार अच्छी होती है। गेहूं की बुवाई करने जा रहे किसानों के लिए मृदा सूर्यकरण काफी कारगर साबित होता है।”

मृदा सूर्यकरण की प्रक्रिया

फसल की बुवाई से पहले खेत की जुताई अच्छे से कर लें। खेत की मिट्टी जब भुरभुरी हो जाए तब उस पर पानी का हल्का छिड़काव करें और उसे एक हफ्ते तक खुली धूप में छोड़ दें। अच्छे परिणाम के लिए किसान हल चले हुए खेत पर पानी छिड़काव के बाद उसे किसी बड़ी पन्नी या तिरपाल से ढक दें। “मृदा सूर्यकरण से पिछली फसल के बचे अवशेष और खरपतवार तुरंत नष्ट हो जाते हैं और पर्याप्त धूप मिलने से मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती है।

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यह प्रक्रिया गेहूं या धान के अलावा सब्जियों और फूलों की खेती में अधिक कारगर साबित होती है।’’ । मौसम विभाग द्वारा जारी अनुमान से इस वर्ष अच्छी बारिश होने के कारण देश के अधिकांश राज्यों में किसानों ने धान की बुवाई शुरू कर दी है।

मिट्टी के पोषक तत्व रहते हैं बरकरार

पीके दास बताते हैं कि खेत की जुताई करने के बाद पानी का छिड़काव करके खेत पॉलीथीन से ढक देने से खेत की मिट्टी में उष्मा की मात्रा बनी रहती है। इससे मिट्टी में पाए जाने वाले पोषकतत्व अधिक समय तक बरकरार रहते हैं। इसकी मदद से बोई जाने वाली फसल की उपज अच्छी मिलती है।

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