सीमैप में देश 14 राज्यों के किसानों को सिखाई जा रहीं खेती की बारीकियां

Update: 2018-02-03 19:23 GMT
सीमैप में देश 14 राज्यों के किसानों को सिखाई जा रहीं खेती की बारीकियां

लखनऊ के सीमैप (सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) में 2 से 4 जनवरी तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें देश के 14 राज्यों के करीब 80 किसानों को एरोमा मिशन के अन्तर्गत आने वाली फसलों की खेती के बारे में किसानों को सिखाया जा रहा है।

असम से सीमैप में प्रशिक्षण लेने आए डॉ. इमली कुंबा ने बताया, ''मुझे खीती की कोई जानकारी नहीं है। मेरी पुश्तैनी ज़मीन जिसपर मैं औषधीय फसलों की खेती करना चाहता था। मुझे यहां पर बहुत सी चीजें सीखने को मिल रही हैं, जैसे कौन सी फसल मेरे खेतों के लिए सही रहेगी और कैसे उसकी खेती की जाएगी उसकी जानकारी दी जा रही है।'' उन्होंने गाँव कने कनेक्शन को आगे बताया, ''आज मुझे पचौली और लैमेन ग्रास के बारे में जानकारी दी गई जिसकी खेती मेरे या हो सकती है।''

ये भी पढ़ें- जिन किसानों के खेत तराई क्षेत्र में आते हैं वो खस की खेती कर कमा सकते हैं मुनाफा  

''देश के किसानों को प्रशिक्षण देने के पीछे सीमैप का यह उद्येश्य है कि एरोमा मिशन के अन्तर्गत आने वाली फसलों की खेती किसान ज्यादा से ज्यादा करें,'' सीमैप के टेक्नॉलॉजी और विज़न डेवलपमेंट डिवीज़न के वैज्ञानिक राम सुरेश शर्मा ने बताया, ''प्रधानमंत्री जी जो किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रहे हैं उसके लिए एरोमैटिक क्रॉप्स बिल्कुल सही हैं। इसकी खेती करके वो अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं। इसके साथ अच्छी बात ये है कि इसकी खेती बंजर जमीन पर भी आसानी से की जा सकती है।''

सीमैप हर दो से तीन महीने में ऐसी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहता है, जिसमे जगह-जगह से किसान प्रशिक्षण लेने आते हैं। इसके लिए सीमैप की वेबसाइट पर इसकी एनाउन्समेंट की जाती है जिसके बाद किसान अपना रजिष्ट्रेशन करते हैं और फिर उन्हें प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाता है।

ये भी पढ़ें- क्या उपज का मूल्य डेढ़ गुना करने से किसानों की समस्याएं ख़त्म हो जाएंगी ?

मध्य प्रदेश सीमैप आए पंकज ने बताया कि मैं जिस जगह पर खेती करना चाहता हूं वहां की मिट्टी काफी खराब है, जिस वजह से वहां किसान सिर्फ सोयाबीन की खेती करता है और साल भर में सिर्फ 15000 रुपए का फायदा होता है। एक बार वहां कृषि वैज्ञानिक आए थे तो उन्होंने बताया था कि यहां पर पामारोज़ा की खेती की जा सकती हैं। इसकी खेती से जो अभी किसान 15000 रुपए की आमदनी होती है तो वहीं इससे वर्ष में करीब 80 से 90 हज़ार रुपए की आमदनी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि मैं पामारोज़ा और लैमेन ग्रास मे से किसी एक फसल की खेती करूंगा, जिसका प्रशिक्षण लेने के लिए मैं यहां आया हूं।

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में डॉ. वीकेएस तोमर, डॉ. संजय कुमार, डॉ. आरके श्रीवास्तव, डॉ. सौदान सिंह, डॉ. राम सुरेश शर्मा, डॉ. एचपी सिंह, डॉ. एके गुप्ता, डॉ. आरके लाल, ई. सुदीप टंडन और डॉ. दिनेश कुमार द्वारा लोगों को जानकारियाँ दी जाएंगी।

ये भी पढ़ें- पुरुषों के शहर पलायन से महिलाओं की खेती में बढ़ी हिस्सेदारी

Similar News