समय से प्रबंधन न करने पर केले की फसल में रोग-कीट का प्रकोप बढ़ा 

Update: 2017-09-27 14:53 GMT
केले की फसल दिखाता किसान 

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

फैजाबाद। ज़िले में केले की खेती बहुत बड़े स्तर पर होती है, इस समय केले फल लग रहे हैं, ऐसे में एन्थ्रेक्नोज रोग व बीटल कीट लगने से किसानों ने लागत बढ़ा दी है। इस रोग से केले के फल बदरंग हो जाते हैं।

जिले के सोहावल ब्लॉक में किसान केला की खेती करते हैं। सोहावल मकसुम गंज के किसान राम गणेश बताते हैं, “हम लोग किसी तरह कड़ी मेहनत से पौधों को तैयार करते हैं, लेकिन जब फल में रोग लग जाते हैं तो ये फलों को बर्बाद कर देते हैं, जिससे हम लोगों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता बाजारों से विभिन्न कीटनाशक दवाई डालते हैं लेकिन कोई असर नहीं होता।”

इस मौसम में एन्थ्रेक्नोज रोग व विटिल कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, इससे किसानों को काफी घाटा सहना पड़ रहा है यह कीट फलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं जो फलों में चितकबरे व काले धब्बे पड़ जाते हैं। फल देखने में अच्छे नहीं लगते है, जिससे सही भाव नहीं मिल पता यह इसकी समय पर रोकथाम नहीं की जाती तो यह आस पास के केले की फसलों को अपनी चपेट में ले लेता है।

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माया गाँव के केदारनाथ बताते हैं, “यहां पर बीटल कीट के प्रभाव से फल काले पड़ जाते हैं, जिससे उचित भाव नहीं मिलता या धीरे-धीरे आसपास के सभी केले के फसलों मे फैल जाता है सही जानकारी न होने के कारण जो भी इसके रोकथाम के लिये जो भी कोई बताता है। वहीं कीटनाशक डाली जाती है जिसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।”

सही समय पर करें रोकथाम

इसके रोकथाम बारे में कृषि विज्ञान केन्द्र, पांती, अंबेडकरनगर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवि प्रकाश मौर्य बताते हैं, “केले के एन्थ्रेक्नोज बीमारी है, इस रोग से फलों के गुच्छे एवं डंठल काले हो जाते हैं और बाद में सड़ने लगते हैं इसकी रोकथाम के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड तीन ग्राम प्रति लीटर में घोल का छिड़काव करें। 15 दिन बाद फिर छिड़काव करें। यदि बीटल किट दिखाई दे रहे हों, तो इसके कारण भी काला चित्ती दिखाई देता है इसकी रोकथाम के लिए डायमिथोएट 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।”

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