बासमती चावल का निर्यात अगले वित्त वर्ष में 4-5 प्रतिशत बढ़ने की संभावना

Update: 2019-03-28 13:38 GMT

लखनऊ। देश का बासमती चावल का निर्यात वर्ष 2019-20 में 4-5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। इसके पीछे का कारण यह भी है कि ईरान सहित कई अन्य देशों में बासमती की मांग तो बढ़ी ही है साथ में पिछले तीन वर्षों में इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।

इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय बासमती चावल उद्योग का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 30,000 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर को छूने की संभावना है। इससे पहले 2013-14 में यह 29,300 करोड़ रुपए के स्तर तक पहुंचा था। इस वित्त वर्ष में निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से दूसरे देशों में मांग बढ़ने और तीन साल से धान कीमतों में लगातार वृद्धि जैसे कारणों से संभव होगा। इक्रा को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में निर्यात वृद्धि की गति 2019-20 में भी बनी रहेगी जहां निर्यात में 4-5 प्रतिशत वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है।

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इक्रा के सहायक उपाध्यक्ष दीपक जोतवानी ने भाषा से कहा "जानना महत्वपूर्ण है कि यह वृद्धि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सामने आई कुछ चुनौतियों के बावजूद हासिल हुई है। जैसे कीटनाशक अवशेषों का मुद्दा यूरोपीय संघ (ईयू) को निर्यात में गिरावट का कारण बना था, उधर, सऊदी अरब ने कड़े कीटनाशक नियमों को अपनाया, कुछ ईरानी आयातकों की ओर से भुगतान संबंधी मसला सामने आया और अमेरिका द्वारा ईरान पर व्यापार प्रतिबंध लगाने के बाद अनिश्चितता की स्थिति बन गई थी।"

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वित्त वर्ष 2017-18 में बनी रफ्तार को जारी रखते हुए भारत ने चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में 24,919 करोड़ रुपए (33.7 लाख टन) बासमती चावल का निर्यात कर दिया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 21,319 करोड़ रुपए (32.8 लाख टन) के निर्यात से 17 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान द्वारा आयात फिर शुरू करने से वित्त वर्ष 2018-19 में चावल निर्यात लगभग 30,000 करोड़ रुपए के उच्चतम स्तर तक पहुंच जायेगा।

(भाषा से इनपुट)

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