देशी तकनीक से गन्ने की खेती कर कमाया दोगुना मुनाफा 

Update: 2017-09-27 14:23 GMT
लालता प्रसाद अपने गन्ने के खेत दिखाते हुए 

स्वयं प्रोजेक्ट/गाँव कनेक्शन

जौनपुर। आमतौर पर जो गन्ने की फसल बोई जाती है तो उसका पौधा सात से आठ फीट ही लंबा हो पाता है। उसकी मोटाई भी ज्यादा नहीं होती है, लेकिन जौनपुर जिले के किसान लालता प्रसाद यादव के गन्ने की फसल 14-15 फीट तक है और उसकी मोटाई भी ज्यादा है।

शाहगंज सोंधी ब्लॉक के मवई गाँव के लालता प्रसाद यादव बहुत बड़े किसान तो नहीं हैं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें जैसे किसानी सिखाई है। वह उसी आधार पर खेती-किसानी करते हैं। उनके पिता आसपास के इलाके में देसी तरीके से खेती किसानी कर अच्छी फसल की पैदावार करने के लिए लोगों को जागरुक करते थे।

लालता प्रसाद के बेटे अधिवक्ता प्रदीप कुमार अपने पिता की खेती के बारे में बताते हैं, “पिता जी ने दिसंबर में आलू की फसल के साथ करीब आठ बिस्वा खेत में गन्ने की फसल भी लगाई थी। गन्ने की फसल उन्होंने आलू की फसल चढ़ाने के दौरान जो नाली होती है, उसमें लगाई। एक दो बार आलू की फसल के लिए निराई-गुड़ाई की तो साथ में गन्ने की फसल की निराई-गुड़ाई हो गई। उन्होंने गन्ने की फसल में बहुत कम खाद का इस्तेमाल किया।

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आठ बिस्वा खेत में जितनी फसल लगी है। उसमें उन्होंने पांच किलो यूरियर, दो किलो सिंग्नल सुपर फास्फेड और एक किलो जिंक का इस्तेमाल किया। जबकि आमतौर पर किसान इससे दोगुना या उससे ज्यादा खाद का इस्तेमाल करते हैं। इसके बावजूद उनकी फसल उतनी अच्छी नहीं हो पाती है। सिर्फ सात से आठ फीट ही गन्ने की फसल बढ़ पाती है। इसके अलावा उसकी मोटाई भी आधा इंच से ज्यादा नहीं हो पाती।

प्रदीप यादव बताते हैं, “जिस विधि से उनके पिता लालता प्रसाद ने गन्ने की फसल उगाई है यदि उसका इस्तेमाल किया जाए तो गन्ने की फसल की लंबाई 14 से 15 फीट होगी। इतना ही नहीं उसकी मोटाई एक से डेढ़ इंच होगी। जैसी उनकी फसल है। आसपास के कई गाँव के किसान अब हमारे यहां गन्ने की खेती की विधि जानने आते हैं।”

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आस-पास के किसान जानने आ रहे विधि

लालता प्रसाद के खेत में 14 से 15 फीट के गन्ने की फसल उगने की खबर सुनकर आसपास के किसान फसल देखने के लिए आ रहे हैं। इसके साथ ही उनसे इस विधि की बारे में जानकारी कर रहे हैं। ताकि गन्ने की पैदावार अच्छी कर सकें और उन्हें इसका मुनाफा भी मिले। लालता प्रसाद के मुताबिक उनके खेत में गन्ने की जो फसल उगी है। उसकी कीमत भी दोगुनी उन्हें मिलेगी। क्योंकि मंडी में ज्यादातर गन्ने सात से आठ फीट लंबे ही होते हैं। जबकि उनकी फसल उसकी दोगुनी है।

रंग ला रही किसान की मेहनत

गन्ने की फसल लगाने के बाद आलू की फसल के साथ लालता प्रसाद ने निराई—गुड़ाई की। इसके बाद जुलाई से जून तक कई बार फसल की सिंचाई की। खाद का इस्तेमाल कम किया और देसी तरकीब से ही फसल के बढ़ने में इस्तेमाल किया। जिसका फायदा अच्छी पैदावार के रूप में मिला। लालता प्रसाद ने बताया कि यह विधि उनके पिता राम सुंदर ने बताई थी। वह इस विधि का इस्तेमाल काफी दिनों से नही कर रहे थे लेकिन इस बार ऐसा फिर किया। उन्होंने यह भी बताया कि यह विधि कम फसल के लिए ज्यादा मुफीद है। ज्यादा फसल के लिए यह विधि उतनी कारगार साबित नहीं हो पाएगी। कहा कि इस विधि से जमीन की उवर्रक क्षमता पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।

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