यूपी के चावल मिलों को राहत, हाइब्रिड धान से रिकवरी में तीन फीसदी की छूट

हाइब्रिड धान से रिकवरी में तीन फीसदी की छूट: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के चावल मिलों को राहत देते हुए हाइब्रिड धान से चावल रिकवरी में तीन फीसदी की छूट दी है। मिलर्स लंबे समय से इस छूट की मांग कर रहे थे। सोमवार को खाद्य आयुक्त मनीष चौहान के साथ मिलर्स की हुई बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी। मौजूदा धान खरीद नीति से यह व्यवस्था लागू हो गई है

Update: 2019-09-17 07:42 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के चावल मिलों को राहत देते हुए हाइब्रिड धान से चावल रिकवरी में तीन फीसदी की छूट दी है। मिलर्स लंबे समय से इस छूट की मांग कर रहे थे। सोमवार को खाद्य आयुक्त मनीष चौहान के साथ मिलर्स की हुई बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी। मौजूदा धान खरीद नीति से यह व्यवस्था लागू हो गई है।

प्रदेश सरकार ने धान खरीद के पिछले सत्र में ही इस छूट की शुरुआत की थी। राइस मिलर्स ने इस मांग को लेकर पिछल साल मिलों में धान की कुटाई बंदी कर दी थी और लखनऊ में धरना भी दिया था। उनका कहना था कि हाइब्रिड धान से 67 फीसदी चावल की रिकवरी नहीं हो पाती। ऐसे में उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

बैठक में शामिल उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने गांव कनेक्शन को बताया, " हम जो भी धान खरीदेंगे उसके 35 फीसदी पर छूट दी जायेगी। क्योंकि सरकार का मानना है कि हम 35 फीसदी से ज्यादा हाइब्रिड धान खरीदते ही नहीं। हम अभी भी सरकार को 67 फीसदी रिकवरी ही देंगे जिसमें से सरकार हमें तीन फीसदी का भुगतान वासप करेगी। इस तरह से हाइब्रिड धान से रिकवरी 3 फीसदी घटाकर 67 से 64 फीसदी कर दिया है।

उत्तर प्रदेश में धान खरीद वर्ष 2019-2020 के लिए किसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 25 जुलाई से शुरू हो गया है। इसके लिए किसान को खाद्य और रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in पर जाकर पंजीकरण कराना होगा।

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हालांकि हाइब्रिड धान से रिकवरी हटाने के फैसले को लेकर राकेश अग्रवाल बहुत ज्यादा खुश हैं। उनका कहना कि मिलों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि महज 20 रुपए दी जा रही है जो बहुत कम है। ऐसे में इसे भी बढ़ाया जाना चाहिए साथ ही सरकार को यह ध्यान भी देना चाहिए कि 35 फीसदी से ज्यादा हाइब्रिड धान मंडियों में आती है।

उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार 1990 में प्रदेश में 15000 राइस मिलें थीं, लेकिन बढ़ते नुकसान की वजह से ये संख्या अब 1480 पर पहुंच गई है।

खाद्य एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश के अपर आयुक्त संतोष कुमार ने बताया कि सोमवार को हुई बैठक में नई नीतियों के क्रियान्वयन को लेकर चर्चा हुई साथ ही मिलों को आ रही समस्याओं के बारे में भी बात हुई। रिकवरी को लेकर उनकी मांग को पिछले साल ही मान लिया गया था। इसे लागू कर दिया गया है।

क्या है मामला

खरीद सीजन 2018-19 में हाइब्रिड धान की खरीद को लेकर प्रदेश में काफी विरोधाभास देखने को मिला था। प्रदेश के राइस मिलर्स ने धान कूटने से मना कर दिया था जिससे किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ थी।

मिलर्स का आरोप था कि हाइब्रिड धान से चावल तो ज्यादा निकलता है लेकिन वो टूटता बहुत ज्यादा है। उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेशभर के मिलर्स ने 20 नवंबर 2018 को लखनऊ में एक दिवसीय धरना भी दिया था।

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भारतीय खाद्य निगम के मानक के अनुसार हाइब्रिड धान की रिकवरी करीब 52-55 प्रतिशत तक आती है। सब मिलाकर करीब 58 से 60 फीसदी पहुंच पाती है। लेकिन सरकार मिलर्स से 67 प्रतिशत धान की रिकवरी लेती थी। इस हिसाब से मिलर्स को हर साल काफी नुकसान हो रहा था। ऐसे में मिलर्स मांग कर रहे थे रिकवरी की मात्रा घटनी चाहिए। इसके बाद ही प्रदेश सरकार ने रिकवरी में तीन फीसदी की छूट देने की बात की थी।

50 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य

खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। साथ ही धान की साफ-सफाई के लिए 20 रुपए प्रति कुंतल की बढ़ोतरी भी की है। कुछ दिनों पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में नई धान खरीद नीति को मंजूरी मिली थी।

धान की खरीद एक अक्टूबर 2019 में शुरू होगी जो कि 28 फरवरी 2020 तक चलेगी। इस खरीफ विपणन सीजन में राज्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 50 लाख मीट्रिक धान की खरीद का लक्ष्य रखा गया है जबकि पिछले खरीफ सीजन में राज्य में 48.25 टन धान खरीदा था। राज्य की 23 सहकारी चीनी मिलों को 3,221.63 करोड़ रुपए कैश क्रेडिट सहकारी बैंकों से देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है।

केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2019-20 के लिए ए ग्रेड धान का एमएसपी 1835 रुपए और सामान्य किस्म के धान की एमएसपी 1845 रुपए प्रति कुंतल तय किया है। केंद्र सरकार ने पिछले साल धान के समर्थन मूल्य में 65 रुपए प्रति कुंतल की बढ़ोतरी की थी।

इस वर्ष हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, बरेली , मुरादाबाद, सहारनपुर, मेरठ, आगरा, झांसी और अन्य जिलों में एक अक्टूबर से धान की खरीद शुरू होगी जो 31 जनवरी 2020 तक चलेगी। रायबरेली, उन्नाव, प्रयागराज, चित्रकूट, बस्ती, वाराणसी, आजमगढ़ और अन्य कुछ जिलों में धान की खरीद एक नवंबर से 29 फरवरी 2020 तक चलेगी।

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